रायपुर छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाले में तत्कालीन खाद्य सचिव और रिटायर्ड IAS डॉ. आलोक शुक्ला ने शुक्रवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुमति न मिलने के कारण वे सरेंडर नहीं कर पाए थे। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, उन्हें पहले दो हफ्ते ईडी की कस्टडी और उसके बाद दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत

इससे पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से आलोक शुक्ला और पूर्व IAS अनिल टुटेजा को अग्रिम जमानत मिली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों अधिकारियों ने नान घोटाले और ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी।

ईडी की दबिश के बाद सरेंडर

सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के दूसरे ही दिन, 18 सितंबर को ईडी ने आलोक शुक्ला के भिलाई स्थित तालपुरी वाले घर पर दबिश दी थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए शुक्ला ने कोर्ट का रुख किया और सरेंडर कर दिया।

2015 में हुआ था घोटाले का खुलासा

नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) घोटाले का खुलासा फरवरी 2015 में हुआ था। उस समय आलोक शुक्ला खाद्य सचिव थे। एसीबी और ईओडब्ल्यू ने एक साथ 25 ठिकानों पर छापा मारकर 3.64 करोड़ रुपए नकद और घटिया क्वालिटी का चावल-नमक जब्त किया था। आरोप था कि राइस मिलरों से घटिया चावल खरीदकर करोड़ों की रिश्वत ली गई और परिवहन-भंडारण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ।

कांग्रेस सरकार में मिली ताकतवर पोस्टिंग

दिसंबर 2018 में ईओडब्ल्यू ने आलोक शुक्ला के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। 2019 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद कांग्रेस सरकार ने उन्हें और अनिल टुटेजा को ताकतवर पदों पर तैनात किया। इसी दौरान जांच प्रभावित करने के आरोप लगे। इस केस में शुक्ला और टुटेजा के पक्ष में न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने को लेकर पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा का भी नाम आया था, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।

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