बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति फिलहाल अटक गई है। अंबिकापुर निवासी डॉ. डीके सोनी ने अनुभव की नई शर्तों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
बिना शर्त निकली वैकेंसी, इंटरव्यू कॉल लेटर में जोड़ी गई नई शर्त
राज्य शासन ने 4 मार्च को सूचना आयुक्त के दो पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस विज्ञापन में किसी प्रकार के न्यूनतम अनुभव की अनिवार्यता नहीं थी। आवेदनों की अंतिम तिथि 19 मार्च तय की गई थी और इस दौरान कुल 231 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें 172 वैध पाए गए।
हालांकि, 9 मई को सर्च कमेटी द्वारा जारी इंटरव्यू कॉल लेटर में अचानक 25 वर्षों के अनुभव की अनिवार्यता जोड़ दी गई। इसमें कहा गया कि विधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क या प्रशासन जैसे क्षेत्रों में कम से कम 25 वर्षों का अनुभव अनिवार्य है। मुख्य सूचना आयुक्त के लिए यह अनुभव सीमा 30 वर्ष कर दी गई।
172 में से केवल 51 को मिला इंटरव्यू का मौका
अनुभव की नई शर्त लागू करने के चलते 172 योग्य आवेदकों में से केवल 51 को ही इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इस चयन प्रक्रिया को याचिकाकर्ता डॉ. डीके सोनी, अनिल तिवारी और राजेंद्र उपाध्याय ने अनुचित बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी।
कोर्ट ने 9 जून तक लगाई रोक
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शरद मिश्रा, प्रसुन्न अग्रवाल और सिद्धार्थ तिवारी ने पैरवी की, वहीं शासन की ओर से शैलजा तिवारी और अंकुर कश्यप ने पक्ष रखा। जस्टिस संजय जायसवाल की वेकेशन बेंच ने 29 मई को सुनवाई के बाद अगले आदेश तक चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 9 जून को तय की गई है।
लंबे समय से खाली है मुख्य सूचना आयुक्त का पद
गौरतलब है कि राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त का पद 11 नवंबर 2022 से खाली है, जब एम.के. राउत का कार्यकाल समाप्त हुआ था। हाल ही में सूचना आयुक्त एन. के. शुक्ल का कार्यकाल भी 21 मई को समाप्त हो गया है। अब आयोग की जिम्मेदारी अकेले आलोक चंद्रवंशी निभा रहे हैं। अगर नियुक्ति प्रक्रिया कोर्ट में अटकी रही तो यह पद और लंबे समय तक खाली रह सकता है।