कोटा के सम्मेलन में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आरोप
बिलासपुर। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के महासचिव भूपेश बघेल ने रविवार को कोटा में आयोजित आदिवासी सम्मेलन में राज्य सरकार और आरएसएस पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है और यहां आदिवासी मुख्यमंत्री भी हैं, फिर भी विश्व आदिवासी दिवस पर सरकार ने कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया।
बघेल ने दावा किया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पहले आदिवासी दिवस मनाने का प्रोटोकॉल जारी किया था, लेकिन संघ कार्यालय से आदेश आने के बाद सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। उन्होंने कहा, “यह चिंता की बात है कि आदिवासियों को मिले अधिकारों का हनन हो रहा है, पेसा कानून का पालन नहीं हो रहा, वन अधिकार और पर्यावरण अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है, और आदिवासियों का रोजगार छीना जा रहा है।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि उनकी सरकार ने 2019 में विश्व आदिवासी दिवस को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था और हर साल इसका भव्य आयोजन होता था। उन्होंने कहा कि 2018 से 2023 तक उनकी सरकार ने जन-जंगल-जमीन और वनोपज के लिए कई बड़े फैसले लिए, जिनमें पेसा कानून लागू करना और 165 वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर करना शामिल है। लेकिन, भाजपा की डबल इंजन सरकार ने ये योजनाएं बंद कर दीं।
कार्यक्रम में विधायक अटल श्रीवास्तव ने खनिज संपदा और जन-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। गोड़वाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर सिंह मरकाम ने अपने पिता हीरा सिंह मरकाम को याद करते हुए कहा कि समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर संघर्ष करना होगा। उन्होंने वनाधिकार पट्टा और वनोपज खरीदी के लिए भी बघेल से सहयोग मांगा।
डीकेपी हाई स्कूल मैदान में आयोजित इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी। मुख्य अतिथि और अन्य मेहमानों का आदिवासी परंपरा के अनुसार स्वागत किया गया और समाज के प्रतिभावान सदस्यों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के संचालन प्रभु जगत और राजू सिदार ने किया। आयोजन में कांग्रेस कमेटी के ब्लॉक अध्यक्ष आदित्य दीक्षित, जिला पंचायत और जनपद पंचायत के सदस्य, सरपंच संघ सहित कोटा विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता शामिल हुए।













