रतनपुर-केंदा मार्ग की दुर्दशा पर भी नाराजगी, दिसंबर के पहले सप्ताह में अगली सुनवाई
बिलासपुर। शहर और राज्य की अन्य सड़कों की बदहाली को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुनवाई की। शासन द्वारा समय पर शपथ पत्र पेश नहीं करने पर अदालत ने नाराजगी जताई और राज्य शासन पर 1000 रुपये का कास्ट (जुर्माना) लगाया है। अदालत ने कहा कि अब अगली सुनवाई से पहले सरकार को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें सड़कों के निर्माण कार्य, मरम्मत और प्रगति की अद्यतन जानकारी शामिल हो।
रतनपुर-केंदा मार्ग की हालत पर केंद्रित रही सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने विशेष रूप से रतनपुर-केंदा मार्ग की दुर्दशा पर नाराजगी जताई। अदालत ने लोक निर्माण विभाग (PWD) से कहा कि वह सड़क की वर्तमान स्थिति, मरम्मत कार्य और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही पर शपथ पत्र प्रस्तुत करे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि बार-बार दिए जा रहे अधूरे शपथ पत्रों से उद्देश्य पूरे नहीं हो रहे, इसलिए अब ठोस कार्रवाई की जरूरत है।
लोक निर्माण विभाग का दावा- रतनपुर-सेंदरी मार्ग लगभग पूरा
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि रतनपुर-सेंदरी रोड का काम लगभग पूरा हो चुका है, जबकि रायपुर रोड का कार्य अगले 15 दिनों में पूरा करने की योजना है।
लोक निर्माण विभाग ने यह भी जानकारी दी कि बिलासपुर शहर में तुर्काडीह, सेंदरी, रानीगांव, मलनाडीह और बेलतरा में पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए फुट ओवरब्रिज बनाए जा रहे हैं।
घटाई गई लागत, टेंडर प्रक्रिया जल्द
पीडब्ल्यूडी ने बताया कि पहले इन ओवरब्रिजों की लागत 17.95 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जिसे संशोधित कर 11.38 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
संयुक्त निरीक्षण हो चुका है और टेंडर प्रक्रिया पूरी होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाइवे पर भी चिंता
हाईकोर्ट ने बिलासपुर-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की खराब हालत और पावर प्लांट की राख फैलने की शिकायतों पर भी गंभीर चिंता जताई। अदालत ने कहा कि यह मुद्दा न केवल सड़कों को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।
इस पर कोर्ट ने मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है और सख्त टिप्पणी की कि “विभाग का मौन रहना चिंताजनक है।”
बाइपास रोड पर भी धीमी प्रगति
कोर्ट ने यह भी पाया कि पेड्रीडीह बाइपास से नेहरू चौक तक की सड़क का निर्माण कार्य अप्रैल में स्वीकृत हो चुका है, लेकिन आज तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। अदालत ने इसे “जनता के प्रति प्रशासनिक लापरवाही” बताया।
अगली सुनवाई दिसंबर के पहले सप्ताह में
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी, जिसमें शासन और लोक निर्माण विभाग को सड़कों की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। अदालत ने संकेत दिए कि अगर प्रगति नहीं दिखी तो व्यक्तिगत जवाबदेही तय की जा सकती है।













