बलरामपुर, (छत्तीसगढ़)। जिले के सहकारी बैंक में 1.33 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जांच के दौरान गंभीर लापरवाही का खुलासा हुआ है। एसपी ने इस मामले में रामानुजगंज के थाना प्रभारी ललित यादव और प्रधान आरक्षक उमेश यादव को निलंबित कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, रामानुजगंज सहकारी बैंक में किसानों के नाम पर लिए गए केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) लोन और सहकारी समिति के फंड में हेराफेरी कर करीब 1.33 करोड़ की धनराशि को अन्य खातों में भेजा गया था। इस घोटाले की जांच थाना प्रभारी ललित यादव कर रहे थे, और प्रधान आरक्षक उमेश यादव इस मामले के प्रार्थी थे।
मूल रूप से दर्ज एफआईआर में चार नाम शामिल थे, जिनमें तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर पंकज विश्वास का नाम भी था। लेकिन जब एफआईआर ऑनलाइन दर्ज हुई, तो पंकज विश्वास का नाम गायब था। सहकारी बैंक के अधिकारियों द्वारा की गई शिकायत के अनुसार, घोटाले में पंकज विश्वास की मुख्य भूमिका रही, जो कि कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत था।
सरगुजा के आईजी अंकित गर्ग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बलरामपुर एसपी राजेश अग्रवाल को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद एसपी ने स्वतंत्रता दिवस के दिन, ध्वजारोहण के बाद, थाना प्रभारी ललित यादव और प्रधान आरक्षक उमेश यादव को निलंबित कर दिया।
घोटाले के दौरान शंकर राम भगत, विजय उइके, और राजेश पॉल की सहकारी बैंक में तैनाती थी, जबकि पंकज विश्वास कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत था। पंकज विश्वास पर किसानों के नाम पर लिए गए केसीसी लोन और समितियों की धनराशि को विभिन्न खातों में स्थानांतरित करने का आरोप है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि पंकज विश्वास ने उनके आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग कर यह फर्जीवाड़ा किया।