सक्ती (छत्तीसगढ़)। सक्ती रियासत के स्वयंभू राजा और जिला पंचायत सदस्य धर्मेंद्र सिंह को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म के गंभीर मामले में दोषी ठहराते हुए 12 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला जनवरी 2022 का है, जिसमें राजपरिवार की ही एक महिला रिश्तेदार ने धर्मेंद्र पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था।

जबरन घर में घुसकर किया दुष्कर्म

पीड़िता के मुताबिक, 9 जनवरी 2022 को वह घर में अकेली थी, तभी धर्मेंद्र सिंह बिना अनुमति के घर में घुस आया। महिला ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन आरोपी ने धक्का-मुक्की करते हुए उसके साथ बलात्कार किया और मौके से फरार हो गया। घटना के बाद पीड़िता ने इसकी जानकारी अपने भाई को दी, जिसके बाद थाने में मामला दर्ज किया गया।

कोर्ट ने दोषी माना, दोनों सजाएं साथ चलेंगी

मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में पहुंचा, जहां गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर धर्मेंद्र सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत 7 वर्ष और धारा 450 (अनधिकृत प्रवेश) के तहत 5 वर्ष की सजा सुनाई गई। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। न्यायालय ने उस पर कुल 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसमें धारा 376 के तहत 10 हजार और धारा 450 के तहत 5 हजार का जुर्माना शामिल है। जुर्माना न भरने की स्थिति में उसे अतिरिक्त 9 महीने की सजा भुगतनी होगी।

जेल भेजा गया, हाईकोर्ट में अपील की तैयारी

सजा के ऐलान के बाद धर्मेंद्र सिंह को जेल भेज दिया गया है। जानकारी के अनुसार, उसके वकील गुरुवार को बिलासपुर हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ जमानत याचिका दायर कर सकते हैं।

सुरेंद्र बहादुर सिंह का दत्तक पुत्र था धर्मेंद्र

धर्मेंद्र सिंह सक्ती रियासत के पूर्व राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह का दत्तक पुत्र है। बताया जाता है कि धर्मेंद्र सिंह बचपन में ही गोद लिया गया था। वह सुरेंद्र बहादुर के साथ ही पीली महल में रहता था। वर्ष 2021 में सुरेंद्र ने उसका राज्याभिषेक कर उसे सक्ती रियासत का पांचवां राजा घोषित किया था।

हालांकि, इस दत्तक संबंध को लेकर राजपरिवार में विवाद भी रहा। सुरेंद्र बहादुर सिंह की पत्नी गीता राणा सिंह, जो करीब तीन दशकों के बाद नेपाल से सक्ती लौटी थीं, ने धर्मेंद्र को पुत्र मानने से इनकार कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि राजमहल और संपत्तियों का गलत तरीके से उपयोग हो रहा है।

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