हाईकोर्ट ने सभी आपराधिक आरोप किए खारिज, न्यायिक कार्यवाही मानते हुए दी संरक्षण की टिप्पणी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायगढ़ जिले के एनटीपीसी लारा पावर प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण के दौरान हुए कथित 500 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले में फंसे तत्कालीन एसडीएम तीरथराज अग्रवाल को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज धारा 420, 467, 468, 471, 120बी, 34 और 506बी आईपीसी के तहत सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा ने निर्णय में कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा पारित आदेश उनके राजस्व अधिकारी के रूप में न्यायिक कर्तव्यों का हिस्सा था, इसलिए उन्हें Judicial Protection Act, 1985 के अंतर्गत पूर्ण संरक्षण प्राप्त है।

FIR में नाम जोड़ने पर जताई आपत्ति, अदालत ने माना तर्क

एसडीएम तीरथराज अग्रवाल ने FIR को रद्द कराने के लिए अपने अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने याचिकाकर्ता का नाम पहले FIR में नहीं लिखा था, बल्कि बाद में बिना ठोस साक्ष्य के उसे जोड़ दिया गया। न तो जांच रिपोर्ट में और न ही किसी गवाह के बयान में अग्रवाल पर कोई प्रत्यक्ष आरोप है। वे सिर्फ उस समय राजस्व अभिलेखों के आधार पर वैधानिक प्रक्रिया से मुआवजा वितरण आदेश देने वाले अधिकारी थे।

क्या है पूरा मामला?

साल 2013-14 में रायगढ़ जिले के झिलगितार गांव में NTPC लारा परियोजना के लिए लगभग 160 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया था। इसके बाद मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं। आरोप था कि वास्तविक ज़मीन मालिकों की बजाय फर्जी किसानों को मुआवजा दिया गया, जिनके नाम पर फर्जी खाते, ऋण पुस्तिकाएं और अन्य दस्तावेज तैयार किए गए।

राज्य सरकार ने भी दी थी क्लीन चिट

इस मामले में 20 नवंबर 2024 को छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने भी अग्रवाल को क्लीन चिट दे दी थी। चार साल पुराने जांच प्रतिवेदन के आधार पर यह निर्णय लिया गया, जिसमें उनके विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी। इसके बाद संबंधित फाइल बंद कर दी गई।

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