बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर 50 दिनों के भीतर सकारात्मक निर्णय लेने का स्पष्ट निर्देश दिया है। मामला शिक्षिका गीता चौधरी द्वारा पुरानी पेंशन योजना का लाभ न मिलने को लेकर दायर याचिका से जुड़ा है।
1998 से सेवा में, लेकिन पेंशन गिनी जा रही 2018 से
याचिकाकर्ता गीता चौधरी, पत्नी लखन चौधरी की नियुक्ति 27 जुलाई 1998 को शिक्षा कर्मी वर्ग-1 के रूप में जिला पंचायत द्वारा की गई थी। इसके बाद 28 सितंबर 2018 को उनका संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग में व्याख्याता पद पर किया गया।
सरकार ने एक आदेश में स्पष्ट किया कि शिक्षा कर्मियों को सेवा अवधि का निर्धारण उनके संविलियन की तारीख से किया जाएगा, जिससे उन्हें नई पेंशन योजना के तहत रखा गया। इस फैसले से प्रभावित होकर गीता चौधरी ने 2023 में विभाग सचिव को अभ्यावेदन देकर पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने की मांग की थी।
दो साल से नहीं मिला जवाब, फिर पहुंचीं कोर्ट
अभ्यावेदन दिए जाने के दो साल बाद भी कोई निर्णय न होने पर गीता चौधरी ने अधिवक्ता नसीमुद्दीन अंसारी और रियाजुद्दीन शेख के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की प्रथम नियुक्ति 1998 में हुई, और विभाग द्वारा इसके बाद कोई नई नियुक्ति नहीं की गई है, ऐसे में सेवा अवधि 1998 से मानी जानी चाहिए।
हाई कोर्ट ने माना युक्ति संगत, विभाग को दिया आदेश
इन तथ्यों से सहमत होकर हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को आदेश दिया कि वे 50 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर पुरानी पेंशन योजना और अन्य समस्त देयों के संबंध में सकारात्मक निर्णय लें।