पेश नहीं होने पर होगी संपत्ति कुर्की, पोस्टर चस्पा कर खुलेआम सूचना दी जाएगी
रायपुर। भारतमाला सड़क परियोजना में करोड़ों रुपए के फर्जी मुआवजा घोटाले में फंसे राजस्व विभाग के छह अधिकारी, कर्मचारी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इन सभी को फरार घोषित कर दिया है। दो महीने पहले इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत ने शनिवार को एक सार्वजनिक सूचना जारी कर दी कि सभी आरोपियों के घरों पर वारंट भेजा गया था, लेकिन वे अनुपस्थित पाए गए। अब कोर्ट ने सभी को 29 जुलाई तक पेश होने का आखिरी मौका दिया है। अगर तय तारीख तक कोई भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ तो उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा और उनकी संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
इन अफसरों, कर्मचारियों पर दर्ज है केस:
- निर्भय साहू – तत्कालीन एसडीएम
- शशिकांत कुर्रे – तहसीलदार
- लखेश्वर प्रसाद किरण – नायब तहसीलदार
- जितेंद्र साहू, बसंती घृतलहरे और लेखराम देवांगन – पटवारी
इन पर फर्जी दस्तावेज बनाकर मुआवजा बांटने और करोड़ों का गबन करने का आरोप है। रायपुर कलेक्टर को शिकायत मिलने के बाद मामला उजागर हुआ था।
अदालत के आदेश के बाद अब :
- सभी आरोपियों के घरों पर कोर्ट की सार्वजनिक नोटिस चस्पा की जा रही है।
- प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर पोस्टर लगाए जाएंगे।
- एक तय समय दिया गया है,जिसमें सभी को खुद अदालत में पेश होना होगा
जांच के घेरे में आईएएस अफसर भी:
इस घोटाले की जांच अब रायपुर के उन कलेक्टरों तक पहुंच गई है जिनके कार्यकाल में मुआवजा प्रकरण तैयार और पास हुआ था। ईओडब्ल्यू ने तीन आईएएस अधिकारियों की भूमिका को लेकर जांच शुरू की है।
अब तक कौन गिरफ्तार हुआ:
इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है –
- तहसीलदार के पति और प्रॉपर्टी डीलर हरमीत सिंह खनूजा
- कारोबारी विजय जैन
- किसान केदार तिवारी और उनकी पत्नी उमा तिवारी
ये सभी रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं, लेकिन एक भी सरकारी अफसर अब तक पकड़ा नहीं गया है।