हाथियों को करंट से बचाने के लिए बिजली विभाग ने कदम उठाने का दिया हाई कोर्ट दिया शपथ पत्र

बिलासपुर, 3 अक्टूबर: छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में हाथियों की बिजली करंट से हो रही मौतों को रोकने के लिए हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान वन विभाग ने अदालत में शपथपत्र पेश किया। इसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी अब भारत सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार हाथियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएगी। कंपनी ने इन दिशा-निर्देशों के तहत बिजली लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने और अन्य उपायों के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. डी. गुरु की युगलपीठ ने रायपुर के नितिन सिंघवी द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि भारत सरकार की गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन सुनिश्चित किया जाए।

क्या हैं भारत सरकार की गाइडलाइंस

भारत सरकार की 2016 की गाइडलाइंस के मुताबिक, हाथियों जैसे वन्य प्राणियों को बिजली करंट से बचाने के लिए विद्युत लाइनों की ऊंचाई हाथी की सूंड की सीमा तक होनी चाहिए। एक व्यस्क हाथी की लंबाई जब वह अपने पिछले पैरों पर खड़ा होता है और सूंड को ऊपर उठाता है, तो लगभग 20 फीट हो सकती है। इन गाइडलाइंस के अनुसार, बिजली कंपनी हाथी विचरण वाले क्षेत्रों में 20 फीट ऊंचाई तक विद्युत तारों को स्थापित करने, बेयर कंडक्टर को कवर्ड कंडक्टर में बदलने या अंडरग्राउंड केबल बिछाने का काम करेगी। इसके अलावा, झुके हुए बिजली के खंभों और तारों की समय-समय पर मरम्मत, खंभों पर सुरक्षा के लिए बारबेट वायर लगाने जैसे कदम उठाए जाएंगे। कंपनी द्वारा अस्थायी पंप और अवैध बिजली कनेक्शनों की जांच भी की जाएगी। प्रोटेक्टेड एरिया, जैसे नेशनल पार्क और एलिफेंट कॉरिडोर, में वन विभाग के साथ साल में दो बार संयुक्त सर्वे भी किया जाएगा।

जून में हुई थी उच्च स्तरीय बैठक

26 जून 2024 को, अपर मुख्य सचिव (वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग) की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि हाथियों को बिजली करंट से बचाने के लिए भारत सरकार की गाइडलाइंस का सख्ती से पालन किया जाएगा। बैठक में ऊर्जा विभाग, विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। यह तय हुआ कि झुके हुए बिजली तारों को ठीक करने, उनकी ऊंचाई बढ़ाने और वन क्षेत्रों में भूमिगत बिजली लाइन बिछाने जैसे कार्य प्राथमिकता के आधार पर किए जाएंगे। सितंबर में हुई बैठक में यह जानकारी दी गई कि पंप कनेक्शन के लिए केबल बिछाने का काम चल रहा है और बेयर कंडक्टर को कवर्ड कंडक्टर में बदलने का काम मार्च 2025 तक चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

बिजली कंपनी ने पहले मांगे थे 1674 करोड़ रुपये

हाथियों की बिजली करंट से हो रही मौतों को रोकने के लिए 2018 में दायर पहली जनहित याचिका में, विद्युत वितरण कंपनी ने वन विभाग से 8500 किलोमीटर की 33 केवी, 11 केवी और निम्न दाब लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने और बेयर कंडक्टर के स्थान पर कवर्ड कंडक्टर लगाने के लिए 1674 करोड़ रुपये की मांग की थी। लेकिन दोनों विभाग खर्च वहन को लेकर जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते रहे। इसके बाद 2021 में पुनः याचिका दायर कर इस मुद्दे को उठाया गया और अब इसे हल किया गया है।

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