जब्त 18 कारों को अदालत की अनुमति के बिना छोड़ने पर लगाई रोक
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सड़कों पर अमीर और प्रभावशाली लोगों द्वारा खतरनाक स्टंट और जश्न मनाने पर गहरी चिंता जताई। कोर्ट ने कहा, “पुलिस का गुस्सा सिर्फ गरीब, मध्यम वर्ग और दबे-कुचलों पर ही पड़ता है, लेकिन जब अपराधी ताकत, पैसा या राजनीतिक समर्थन से मजबूत होता है, तो पुलिस एक बेबस शेर बन जाती है।” यह टिप्पणी उस समय आई जब कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग-49 पर ट्रैफिक बाधित करने वाले एक मामले का स्वत: संज्ञान लिया।
सड़क पर मची थी अफरा-तफरी
शुक्रवार को बिलासपुर के मस्तूरी रोड पर कुछ युवाओं ने लावर गांव में पार्टी के लिए जाते समय खतरनाक हरकतें कीं। वे अपनी कारों की खिड़कियों और सनरूफ से बाहर लटकते हुए तेज रफ्तार में गाड़ियां चला रहे थे, जिससे सड़क पर अफरा-तफरी मच गई। इस घटना की खबरें सामने आने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिब्हु दत्त गुरु शामिल थे, ने तुरंत मामले की सुनवाई शुरू की।
पुलिस की नरमी पर सवाल
कोर्ट ने पुलिस पर निशाना साधते हुए कहा कि वे गरीबों के खिलाफ सख्ती दिखाते हैं, लेकिन अमीर या प्रभावशाली अपराधियों के मामले में मामूली जुर्माना लेकर उन्हें छोड़ देते हैं और उनकी गाड़ियां भी वापस कर दी जाती हैं। कोर्ट ने इस रवैये को ‘आंखों का धोखा’ करार दिया। पुलिस ने इस घटना के बाद 18 कारें जब्त कीं और ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की, लेकिन कोर्ट ने नोट किया कि फरवरी में उनकी पिछली टिप्पणी के बावजूद ऐसी लापरवाही जारी है।
सजा सख्त होनी चाहिए
कोर्ट ने निर्देश दिया कि बिना उनकी अनुमति के जब्त की गई 18 कारों को रिहा नहीं किया जाए। साथ ही, बेंच ने जोर देकर कहा कि इस तरह के अपराधों के लिए भारतीय न्याय संहिता, 2023 या अन्य सख्त कानूनों के तहत कड़ी सजा होनी चाहिए, ताकि यह भविष्य में सबक बने। कोर्ट ने पूछा, “ऐसे अपराधियों के खिलाफ पुलिस क्यों नहीं भारतीय न्याय संहिता, 2023 या अन्य कठोर कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज करती?” उन्होंने कहा कि पुलिस की मौजूदा कार्रवाई केवल दिखावा है और सड़क पर अन्य लोगों की जान खतरे में डालने वाले इन ‘हूलिगन्स’ के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
मुख्य सचिव से मांगा हलफनामा
कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव से मोटर वाहन अधिनियम से परे की गई कार्रवाई का हलफनामा दायर करने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई कल 23 सितंबर को होगी। इस घटना से साफ है कि सड़क सुरक्षा और कानून के समान लागू होने की मांग तेज हो गई है।