बिलासपुर, 10 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गुरुवार को बहुचर्चित नान घोटाला (NAN Scam) से जुड़ी सभी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया। अब जिन व्यक्तियों की भूमिका इस घोटाले में संदिग्ध है, लेकिन एसीबी ने उनके खिलाफ चालान प्रस्तुत नहीं किया, उनके विरुद्ध विचारण न्यायालय (Trial Court) में आवेदन लगाया जा सकेगा।
🔹 सीबीआई जांच की मांग पर पूर्ण विराम
हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति पी. पी. साहू की खंडपीठ ने नान घोटाले से जुड़ी आठ याचिकाओं पर सुनवाई की। इनमें से केवल दो याचिकाओं हमर संगवारी एनजीओ और अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की ओर से ही पक्षकार उपस्थित हुए। अन्य याचिकाओं में कोई उपस्थित नहीं हुआ, जिन्हें कोर्ट ने निराकृत कर दिया।
भाजपा नेता धरमलाल कौशिक की एसआईटी जांच के खिलाफ याचिका वापस लेने की अनुमति दी गई।
🔹 राज्य सरकार की दलील- “मामला अब अंतिम चरण में”
राज्य की ओर से दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अधिवक्ता अतुल झा ने कोर्ट को बताया कि 10 वर्षों में ट्रायल कोर्ट में 224 में से 170 गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है। मामला अब अपने अंतिम चरण में है।
कोर्ट ने अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव से पूछा कि उनका इस मामले से क्या संबंध है। जवाब में उन्होंने कहा कि वे केवल उन लोगों की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं, जिन्हें एसीबी ने छोड़ दिया है, जबकि उनके खिलाफ ठोस सबूत मौजूद हैं।
🔹 कोर्ट की टिप्पणी- “अब एजेंसी बदलने की जरूरत नहीं”
सुदीप श्रीवास्तव की ओर से यह मांग की गई थी कि अधूरी जांच के कारण यह मामला सीबीआई को सौंपा जाए।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि मामला 10 साल से अधिक पुराना है और अब जांच एजेंसी बदलना उचित नहीं है। अगर नए नाम जोड़ने हैं तो धारा 319 CrPC के तहत आवेदन ट्रायल कोर्ट में दिया जा सकता है।
कोर्ट ने सभी जनहित याचिकाओं को निराकृत करते हुए सुनवाई समाप्त कर दी।
🔹 क्या है नान घोटाला ?
नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) के माध्यम से छत्तीसगढ़ की पीडीएस प्रणाली में चावल, दाल, नमक और अन्य राशन सामग्री की खरीद और वितरण में कथित रूप से हजारों करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ था।
चार्जशीट के अनुसार —
- राज्य में 55 लाख परिवारों के बावजूद 70 लाख राशन कार्ड जारी किए गए।
- आयोडाइज्ड नमक की जगह घटिया गुणवत्ता का नमक और कांच के टुकड़े मिले नमक की सप्लाई की गई।
- एसीबी की जांच में अनेक जिला प्रबंधकों और अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई, परंतु कई को अभियुक्त नहीं बनाया गया।
🔹 राजनीतिक पृष्ठभूमि और विवाद
2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद इस घोटाले की एसआईटी जांच शुरू की गई।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता धरमलाल कौशिक तथा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने सीबीआई जांच के विरोध में याचिकाएं लगाईं।
मामला 2017 से लेकर 2021 तक विभिन्न स्तरों पर लंबित रहा। बाद में ईडी की याचिका के चलते सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक लगा दी थी।
अब सुप्रीम कोर्ट में उन मामलों के निराकरण के बाद हाईकोर्ट ने सभी जनहित याचिकाओं का निपटारा कर दिया।