रायपुर से पहुंची टीम ने कई जगह की स्टोर की जांच, कई अन्य अफसरों की भूमिका संदिग्ध

बिलासपुर। विद्युत वितरण कंपनी में करोड़ों रुपये के एबीसी केबल घोटाले का खुलासा हुआ है। रायपुर से आई जांच टीम ने पाया कि ठेकेदारों ने बिजली अधिकारियों के साथ मिलकर घटिया गुणवत्ता के केबल लगाए, जिससे बिजली आपूर्ति बार-बार बाधित हो रही है। इस मामले में जांजगीर के कार्यपालन अभियंता एचके मंगेशकर और कोरबा के अभिमन्यु कश्यप को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, जांजगीर के सहायक अभियंता नरेश देवांगन का तबादला बलौदा कर दिया गया। बिलासपुर और मुंगेली में जांच जारी है, और अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

जांच में सामने आईं गड़बड़ियां

रायपुर से गठित चार कार्यपालन अभियंताओं की टीम ने बिलासपुर और मुंगेली में सघन जांच की। बिलासपुर के सेंदरी और मुंगेली के स्टोर में रखे केबल, कंडक्टर और ट्रांसफार्मर के डीपी चैनल की जांच की गई। सैंपल लेने के बाद दोनों स्टोर सील कर दिए गए। जांच में पाया गया कि ठेकेदारों ने आईएसआई मार्क और बीआईएस प्रमाणित केबल की शर्तों का उल्लंघन करते हुए घटिया और स्थानीय ब्रांड के केबल इस्तेमाल किए। इन केबलों का इंसुलेशन जल्दी पिघल रहा है, जिससे बारिश में फाल्ट और स्पार्किंग की घटनाएं बढ़ गई हैं।

ठेकेदारों पर शिकंजा

घटिया केबल आपूर्ति के लिए ठेकेदारों पर भी सख्ती शुरू हो गई है। दिल्ली की एथटी इलेक्ट्रिकल्स और जांजगीर के भुवनेश्वर साहू को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया है। कंपनी मुख्यालय ने इन ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुणे की एसटी इलेक्ट्रिकल्स पर धीमे और खराब काम के लिए 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया  जा चुका है। जांच में यह भी सामने आया कि कई जगहों पर केबल लगाए बिना ही ठेकेदारों को पूरा भुगतान कर दिया गया।

कहां-कहां हुई जांच

जांच टीमें बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा और जांजगीर में सक्रिय हैं। बिलासपुर में 66.72 करोड़, कोरबा में 77 करोड़ और मुंगेली/पेंड्रा में 25.37 करोड़ रुपये की लागत से लगाए गए केबल की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। सेंदरी (बिलासपुर) और मुंगेली के स्टोरों में सामान की सैंपलिंग के बाद सीलिंग की गई। जांच में शामिल अधिकारियों में बिलासपुर के एमएम चंद्राकर, पीके सिंह, धर्मेंद्र भारती और नवीन राठी शामिल थे। स्थानीय स्तर पर अधीक्षण यंत्री पीआर साहू, कार्यपालन यंत्री हेमंत चंद्राकर और एमके पाण्डेय भी जांच में शामिल रहे।

आरडीएसएस योजना क्या है?

यह घोटाला, The Revamped Distribution Sector Scheme, पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत चल रहे काम में आया है। यह केंद्र और राज्य सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य बिजली वितरण कंपनियों की कार्यक्षमता और वित्तीय स्थिरता को बेहतर करना है। छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत बिजली चोरी रोकने, हानि कम करने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए स्मार्ट मीटरिंग और केबल उन्नयन जैसे कार्य किए जा रहे हैं।

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