बिलासपुर। भारत माला परियोजना में मुआवजा घोटाले की आरोपी उमा तिवारी को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से झटका लगा है। मंगलवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विभू दत्ता गुरु की डबल बेंच ने उमा तिवारी की अंतरिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। उमा तिवारी समेत अन्य आरोपी ढाई महीने से जेल में बंद हैं।

दरअसल, दुर्ग से विशाखापत्तनम और मुंबई से कोलकाता को जोड़ने वाली भारत माला सड़क परियोजना रायपुर के अभनपुर से होकर गुजर रही है। इस प्रोजेक्ट में भू-अर्जन के लिए सरकार ने राजपत्र में नोटिफिकेशन जारी किया था। लेकिन जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर एक बड़ा सिंडिकेट बनाया। इस सिंडिकेट ने बड़ी जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर मुआवजा घोटाला किया। इसमें तत्कालीन भू-अर्जन अधिकारी SDM निर्भय साहू, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारियों की मिलीभगत थी। इस घोटाले से सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।

एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और ईओडब्ल्यू ने इस मामले में हरमीत सिंह खनूजा, विजय जैन, उमा तिवारी और उनके पति केदार तिवारी को ढाई महीने पहले गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया कि ठाकुर राम चंद्र स्वामी और जैतु साव मठ के नाम पर 2.13 करोड़ रुपये का मुआवजा तय हुआ था। इस रकम को हड़पने के लिए उर्वशी तिवारी ने उमा तिवारी बनकर भू-अर्जन अधिकारी निर्भय साहू के साथ साठगांठ की। उसने फर्जी आवेदन और शपथ पत्र देकर मुआवजा हासिल कर लिया।

हाई कोर्ट ने उमा तिवारी की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया। कोर्ट का मानना है कि मामला गंभीर है और जांच अभी चल रही है। इस घोटाले ने न सिर्फ सरकारी खजाने को चपत लगाई, बल्कि भारत माला जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना की साख पर भी सवाल उठाए हैं। अब इस मामले में आगे की जांच और कोर्ट की कार्रवाई पर सबकी नजर है।

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