बिलासपुर। एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की गेवरा और कुसमुंडा खदानों ने विश्व की शीर्ष 5 कोयला खदानों में स्थान पाया है। worldatlas.com द्वारा जारी सूची में गेवरा को दूसरा और कुसमुंडा को चौथा स्थान मिला है।
गेवरा और कुसमुंडा की उपलब्धियां
उत्पादन क्षमता: गेवरा खदान की वार्षिक उत्पादन क्षमता 70 मिलियन टन है, जिसने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 59 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया। वहीं, कुसमुंडा खदान ने भी 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन हासिल किया, जो गेवरा के बाद ऐसा करने वाली दूसरी खदान बनी।
प्रयोग की जाने वाली तकनीक: इन खदानों में कोयला खनन के लिए विश्व-स्तरीय अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है। “सरफेस माइनर” मशीनें बिना ब्लास्टिंग के ईको-फ्रेंडली तरीके से कोयला खनन करती हैं। ओवरबर्डन हटाने के लिए 240-टन डंपर, 42 क्यूबिक मीटर शॉवेल और वर्टिकल रिपर जैसी भारी मशीनें इस्तेमाल होती हैं।
पर्यावरण हितैषी प्रयास: खदानों में पर्यावरण-हितैषी तकनीकों का प्रयोग किया जाता है, जिससे कोयला खनन प्रक्रिया अधिक स्थायी और कम हानिकारक होती है।
एसईसीएल सीएमडी डॉ. प्रेम सागर मिश्रा की प्रतिक्रिया- “छत्तीसगढ़ की माटी के लिए यह अत्यंत ही गौरव का विषय है कि विश्व की 5 सबसे बड़ी खदानों में राज्य की दो खदानों को स्थान मिला है। इस उपलब्धि के लिए मैं कोयला मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, राज्य शासन, कोल इंडिया, रेलवे, विभिन्न अंशधारक और हमारे कर्मठ खनिक साथियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।”
महत्त्वपूर्ण आंकड़े:
– गेवरा खदान में 900 मिलियन टन से अधिक कोयला भंडार है।
– वर्ष 2023-24 में दोनों खदानों ने मिलकर 100 मिलियन टन से अधिक का कोयला उत्पादन किया, जो कि भारत के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 10% है।
एसईसीएल की इन खदानों से मिली उपलब्धि ने राज्य को वैश्विक मानचित्र पर विशेष स्थान दिलाया है।