छत्तीसगढ़ के रजिस्ट्री कार्यालयों में चल रहे भ्रष्टाचार का विजिलेंस जांच में पर्दाफाश हुआ है। अब तक 1.83 करोड़ रुपए की गड़बड़ी सामने आई है, जिसके बाद रायपुर, धमतरी और पाटन के उप पंजीयकों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। यह कार्रवाई वित्त मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश पर की गई है।

भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा

विभागीय जांच में पता चला कि कई अफसरों ने बिल्डर्स और प्रॉपर्टी डीलर्स को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया। इनमें से रायपुर की वरिष्ठ उप पंजीयक मंजूषा मिश्रा, धमतरी के उप पंजीयक सुशील देहरी और पाटन की उप पंजीयक शशिकांता पात्रे को निलंबित कर दिया गया है। इन अफसरों पर गलत तरीके से रजिस्ट्री में छूट देने का आरोप है, जिससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ।

सतर्कता प्रकोष्ठ की जांच

प्रदेश के पंजीयन विभाग के सतर्कता प्रकोष्ठ ने 18 मामलों की जांच के बाद 1.63 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का खुलासा किया है। इसके तहत रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायगढ़ और बेमेतरा जिलों के पंजीयन कार्यालयों की भी जांच की गई। इसमें सामने आया कि जमीन की रजिस्ट्री में गाइडलाइन रेट का सही से पालन नहीं किया गया और गलत तरीके से स्टाम्प शुल्क में छूट दी गई।

सरकार की सख्त कार्रवाई

वाणिज्यिक कर (पंजीयन) विभाग के विभागीय मंत्री ओपी चौधरी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राज्य में जांच निरंतर चलती रहेगी और जो भी अधिकारी, कर्मचारी भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाएंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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