बिलासपुरबिलासपुर के चकरभाठा स्थित बिलासा एयरपोर्ट के विकास कार्यों में हो रही देरी को लेकर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने शुक्रवार को कड़ी नाराजगी जताई। खासकर नाइट लैंडिंग और अन्य सुविधाओं के काम में लापरवाही देखकर कोर्ट ने राज्य सरकार और अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठाए।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने महाधिवक्ता (एजी) से दो टूक कहा – आप स्टेटमेंट दे दीजिए कि हमसे नहीं होगा। फिर हम दोनों जनहित याचिकाएं खत्म कर देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जवाब और अफसरों की बॉडी लैंग्वेज देखकर लग ही नहीं रहा कि किसी को इस काम में दिलचस्पी है।

यह सुनवाई अधिवक्ताओं संदीप दुबे और कमल दुबे की ओर से दायर जनहित याचिका पर हो रही थी। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि एयरपोर्ट के हालात में कोई खास सुधार नहीं है और यात्रियों की सुविधाओं को लेकर जो वादे किए गए थे, वे भी अधूरे हैं।

जब महाधिवक्ता ने एयरपोर्ट के काम की कुछ तस्वीरें कोर्ट में पेश कीं, तो चीफ जस्टिस ने फोटोज देखकर ही नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा – आप खुद देखिए, कहां काम होता दिख रहा है? सिर्फ एक गाड़ी और कुछ लोग खड़े हैं।

याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि रक्षा मंत्रालय ने रनवे की चौड़ाई और लंबाई बढ़ाने के लिए 286 एकड़ जमीन पर काम की अनुमति दे दी है। इस पर सीजे ने पूछा कि जब डिफेंस से मंजूरी मिल गई है, तो फिर अब काम क्यों नहीं हो रहा?

महाधिवक्ता ने जवाब में बताया कि जमीन की कीमत को लेकर मामला अटका हुआ है। रक्षा मंत्रालय बदले में ज्यादा पैसा मांग रहा है, जबकि राज्य सरकार पहले जमीन अपने कब्जे में लेना चाहती है।

इस पर चीफ जस्टिस ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य के मुख्य सचिव और रक्षा मंत्रालय के सचिव को तलब कर लिया और अगली सुनवाई में शपथपत्र के साथ पूरी जानकारी पेश करने को कहा। उन्होंने कहा – अफसरों की बॉडी लैंग्वेज से ही लग रहा है कि उन्हें इस काम में कोई रुचि नहीं है। जब भी कोर्ट में सुनवाई होती है, बस जवाब के लिए वक्त मांग लिया जाता है।

अंत में सीजे ने यह भी टिप्पणी की – बिलासपुर का भाग्य कब जागेगा? क्या कोई सरकार इसे सुधार पाएगी?”

 

 

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