अस्पताल में लाइन लगाने और प्राइवेट इलाज में खर्च से मिली मुक्ति
बिलासपुर। शहर की पिछड़ी बस्तियों में प्रत्येक व्यक्ति का गुणवत्तापूर्वक स्वास्थ्य सुविधा सहजता से उपलब्ध कराने के लिये प्रतिदिन स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें निःशुल्क जांच एवं उपचार की सुविधा से रोजी-मजदूरी एवं अन्य छोटे व्यवसाय कर अपना जीवन-यापन करने वाले गरीबों को बहुत राहत मिली है। अब उन्हें अस्पतालों में लंबी लाइन नहीं लगानी लगानी पड़ रही है। साथ ही प्राइवेट अस्पताल में होने वाले खर्च से भी छुटकारा मिल रहा है।
महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर से प्रारंभ मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य क्लीनिक योजना के तहत बिलासपुर शहर में अब तक 19 स्लम क्षेत्रों में चलित चिकित्सा इकाई के माध्यम से ढाई हजार से अधिक मरीजों का उपचार किया गया है। शिविर में ब्लड, शुगर, टी.बी., एचआईवी, कुष्ठ, गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की जांच, नेत्र विकार तथा मौसमी बीमारियों का उपचार किया जा रहा है। जिन मरीजों का उपचार यहां नहीं हो सकता है, उन्हें अस्पतालों में रिफर किया जा रहा है। अब तक शहरी क्षेत्र के 20 हजार से अधिक जनसंख्या तक मुख्यमंत्री शहरी स्वास्थ्य क्लीनिक योजना को पहुंचाया गया है।
मुख्यमंत्री शहरी स्वास्थ्य क्लीनिक में अपना उपचार कराने पहुंची जबड़ापारा, चांटीडीह निवासी रशीदा खातून को हृदय रोग है, साथ ही उसके पैरों में दर्द हो रहा है। रशीदा ने बताया कि उसका घर सरकारी अस्पताल से दूर है इसलिये वह प्राइवेट अस्पताल में अपना इलाज करा रही थी। जिसमें बहुत पैसा खर्च हो रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत अब उसे घर के पास चिकित्सा सुविधा सुलभ हो रही है। जबड़ापारा की ही मुन्नी धीवर जो घर-घर जाकर घरेलू काम करती है। वह खांसी और कमरदर्द का उपचार कराने शिविर में पहुंची। डॉक्टर ने जांच कर उसे दवाई दी। मुन्नी ने बताया कि नजदीक की प्राईवेट अस्पताल में उसने पहले इलाज कराया था, जिसमें एक बार में उसे 400 रुपये खर्च करने पड़े। यहां उसे निःशुल्क जांच और दवाई मिली है। चांटीडीह की शांतो सिला मसीह एक गृहिणी है। वह भी यहां उपचार कराने आई हुई थी। उसने कहा कि यह योजना हम गरीबों के लिये वरदान है। जिन्हें छोटे-मोटे बीमारी में भी सैकड़ों रूपये खर्च करने पड़ते हैं, जिससे आर्थिक स्थिति चरमरा जाती है। पेट्रोल पंप में काम करने वाले संजय श्रीवास ने भी शिविर में अपना इलाज कराया। उसने कहा कि सरकार के इस योजना से उसे अपने घर के नजदीक ही चिकित्सा मुहैया हो रही है और उसके पैसे भी बच रहे हैं। रोजी-मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करने वाले नारायण साहू ने सर्दी, खांसी का इलाज शिविर में कराया। उसने बताया कि जिला अस्पताल में उसे लंबे लाईन लगानी पड़ती है। जिसमें घंटों समय लगता है। वहीं प्राइवेट अस्पताल में उसे ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इस योजना के प्रारंभ होने से उसे भी अपने घर के नजदीक चिकित्सा की बड़ी सुविधा मिल रही है।