डीएलएस कॉलेज के संस्थापक को ठीक एक साल पहले छीन लिया था कोरोना ने, एक सड़क उनके नाम किया
बिलासपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां डी.एल.एस. स्नाकोत्तर महाविद्यालय परिसर अशोक नगर में कांग्रेस नेता व महाविद्यालय के संस्थापक स्व. बसंत शर्मा की प्रतिमा का अनावरण किया।
शर्मा ने लगभग 25 वर्ष पूर्व निजी क्षेत्र में डीएलएस कॉलेज की स्थापना की थी। कॉलेज में निम्न आय समूह के लगभग 2500 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। शर्मा का लगभग 55 वर्ष के उम्र में आज ही के दिन कोविड महामारी से जूझते हुए एक साल पहले निधन हो गया था।
मुख्यमंत्री ने कॉलेज परिसर में स्व. शर्मा की आदमपद प्रतिमा का अनावरण कर उन्हें भावपूर्ण श्रंद्धाजलि अर्पित की। बघेल उनको याद करते हुए अत्यंत भावुक हो गए। आंखें नम हो गईं। उनके साथ बिताए हुए पलों को याद कर उनके आंखों में आंसू आ गए, बोल नहीं फूट रहे थे।
सीपत रोड से चांटीडीह पहुंच मार्ग का नामकरण स्व. बसंत शर्मा के नाम पर करने की घोषणा कार्यक्रम के दौरान की गई।
कार्यक्रम में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन एवं जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल, संसदीय सचिव रश्मि आशीष सिंह, विधायक शैलेष पांडेय, महापौर रामशरण यादव, छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा तथा रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे विशेष रूप से मौजूद थे।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि बसंत शर्मा सहज, सरल एवं प्रगतिशील व्यक्तित्व के धनी थे। वे अपने विचारों पर अडिग रहने वाले थे। महाविद्यालय में संकट आने पर भी वह कभी झुके नहीं। उन्होंने कहा कि यह बेहद भावुक क्षण है। कोरोना महामारी ने हम सभी को बहुत नुकसान पहुंचाया है। शर्मा को बिलासपुर के लोगों से बहुत लगाव था। उनकी मृत्यु शर्मा परिवार, महाविद्यालय और पूरे बिलासपुर के लिए अपूरणीय क्षति है। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि बसंत शर्मा ने समाज और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। बिलासपुर क्षेत्र के विकास में योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
कार्यक्रम में संजय शर्मा ने उनका जीवन परिचय दिया। उन्होंने बताया कि बसंत शर्मा का जन्म 4 मई 1965 को कटघोरा में हुआ। उन्होंने पिता स्व. दशरथ लाल शर्मा के नाम पर वर्ष 1997 में डीएलएस महाविद्यालय की स्थापना की। वे सामाजिक, राजनैतिक एवं शिक्षा के क्षेत्र में सदैव सक्रिय रहे। ऐसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी सक्रिय युवा को वर्तमान हालात में कोविड-19 ने 25 अप्रैल 2021 को उन्हें हमसे छीन लिया। मात्र 4 कमरों एवं 200 विद्यार्थियों से प्रारंभ की गई संस्था आज 5 एकड़ में फैला सर्वसुविधा युक्त स्नात्कोत्तर महाविद्यालय का रूप ले चुका है, जहां 2000 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। यहां लगभग 100 अध्यापक एवं कर्मचारी कार्यरत हैं। वे 1994 से 1999 तक 2004 से 2009 तक पार्षद रहे। वे 21 संस्थाओं के अध्यक्ष भी रहे।
कार्यक्रम में उनकी प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार परवेज आलम को मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। महाविद्यालय की दो छात्राओं को उन्होंने स्वर्ण पदक प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन कवि मीर अली मीर ने किया। कार्यक्रम में संभागायुक्त डॉ. संजय अलंग, आईजी रतनलाल डांगी, कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पारूल माथुर, विजय केशरवानी, विजय पाण्डेय, अभय नारायण राय, महाविद्यालय के शाषी निकाय की सदस्य निशा बंसत शर्मा, प्राचार्य डॉ. रंजना चतुर्वेदी, शासकीय निकाय के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पार्थ शर्मा सहित महाविद्यालयीन परिवार उपस्थित था।