बिलासपुर। ललित कला एवं साहित्य के लिए समर्पित अखिल भारती संस्था संस्कार भारती एवं महाराष्ट्र मंडल के संयुक्त प्रयास से काव्य भारती के संस्थापक मनीष दत्त के निधन पर शोक सभा महाराष्ट्र मंडल भवन नेहरू नगर में रखी गई।

शोक सभा में शहर के विभिन्न संस्था एवं संगठन प्रमुख उपस्थित थे। उन्होंने मनीष दत्त के चित्र पर पुष्प अर्पित कर  अपनी श्रद्धांजलि दी। राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन कला को समर्पित कर दिया। उनमें ऐसा कोई भी आक्रोश जैसा व्यवहार नहीं था जो समाज विरोधी हो। वे बेहद मिलनसार, मृदुभाषी और हंसमुख प्रवृत्ति के थे।काव्य भारती के उपाध्यक्ष एवं दादा के करीबी रहे डॉ. विजय सिन्हा ने उनसे जुड़े विभिन्न संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि दादा ने अपना पूरा जीवन परोपकार में लगा दिया। उन्होंने सब कुछ त्याग कर अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित कर दिया। वे बेहद सरल, सहज व्यक्तित्व के धनी थे।

ड्रीम लैंड स्कूल की संचालिका निवेदिता सरकार ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दादा आज हमारे बीच नही है, ये यकीन नही होता, उनकी यादें सदैव हमारे मानस पटल पर विद्यमान रहेगी।

ज्येष्ठ नागरिक मंच से चंद्रप्रकाश देवरस ने उनके विभिन्न संस्मरणों को याद किया।

श्रद्धांजलि सभा को अग्रज नाट्य दल से सुनील चिपडे, तेजस्विनी छात्रावास की संचालिका सुलभा देशपांडे, महाराष्ट्र मंडल से मोहन देवपूजरी, लोक श्रृंगार भारती से अनिल गढ़ेवाल, रेलवे महाराष्ट्र मंडल से प्रकाश शितुत, स्पिक मैके से अजय श्रीवास्तव, महर्षि विद्या मंदिर से संध्या शुक्ला, राष्ट्रीय कवि संगम से राघवेंद्र दुबे, भारतखंडे विश्वविद्यालय से सचिन सिंह ठाकुर तथा अधिवक्ता चंद्रशेखर वाजपेयी ने भी संबोधित किया। अंत में दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की गई। श्रंद्धाजलि सभा का संचालन बालमुकुंद श्रीवास ने किया। श्रद्धांजलि सभा मेंशिरीष पागे, भुवनेश्वर चन्द्राकर, चंद्रशेखर देवांगन, डॉ आंचल श्रीवास्तव व उर्मिला सिन्हा भी विशेष रूप से उपस्थित थीं।

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