शिकायत झूठी, गृह मंत्री से शिकायत व निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे-त्रिलोक श्रीवास
बिलासपुर। रतनपुर पुलिस ने पहले प्रार्थी का आवेदन लिया, आवेदन पाने के बाद आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया फिर तीन चार दिन बाद अचानक प्रार्थियों को ही आरोपी बना दिया गया।
मामला ग्राम गिधौरी का है। 27 जनवरी को रात्रि 11:45 पर बिलासपुर निवासी जितेंद्र शर्मा आशीष पांडे एवं सुमित श्रीवास पंचायत चुनाव में यहां प्रचार करने पहुंचे थे। शिकायत के अनुसार यहां के पूर्व सरपंच शिवनारायण कश्यप, उनके बेटे मोन्टी कश्यप और अन्य लोगों ने इनके साथ गाली-गलौच की और लूटपाट की और एक को तो चार घंटे तक बंधक बनाकर भी रखा। पीड़ित लोगों ने पहले इसी जानकारी कांग्रेस नेता त्रिलोक श्रीवास को दी। श्रीवास और पीड़ितों ने न सिर्फ मामले की शिकायत रतनपुर थाने में की बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों को भी घटना की जानकारी दी। पुलिस ने घटना की प्रारंभिक जांच के बाद शिवनारायण कश्यप, जागेन्द्र कश्यप आदि के खिलाफ 27 जनवरी की रात में ही धारा 294, 506, 323, 427, और 34 का अपराध पंजीबद्ध कर लिया। मालूम हो कि घटना के बाद पीड़ितों को छुड़ाने के लिए पुलिस की 112 टीम भी गांव पहुंची थी।
आरोपियों को अपने विरुद्ध अपराध दर्ज किये जाने की जानकारी मिली तो घटना के तीन दिन बाद 30 जनवरी को उन्होंने रतनपुर थाने में पीड़ितों के खिलाफ शिकायत कर दी। इसके बाद रतनपुर पुलिस ने कांग्रेस नेता त्रिलोक श्रीवास, उनके भाई आनंद श्रीवास, जितेन्द्र शर्मा, आशीष पांडे, सुमित व गणेश के विरुद्ध बलवा का अपराध दर्ज कर लिया।
इस कार्रवाई ने रतनपुर पुलिस को संदेह के घेरे में ला दिया है। यदि 27 जनवरी को मारपीट हुई थी तो पुलिस ने यह जानने की जरूरत नहीं समझी की आरोपी 30 जनवरी को अपने खिलाफ जुर्म दर्ज होने के बाद शिकायत करने क्यों पहुंचे और पुलिस ने उनकी बात को मानकर घटना के तीन दिन बाद प्रार्थियों के ही खिलाफ अपराध क्यों दर्ज कर लिया।
कांग्रेस नेता त्रिलोक श्रीवास ने रतनपुर पुलिस के इस रवैये की शिकायत गृह मंत्री से मिलकर करने की बात कही है। श्रीवास का कहना है कि शिवनारायण कश्यप आपराधिक प्रवृत्ति का है और उसके खिलाफ लूट, हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर अपराध दर्ज हैं और जेल भी जा चुका है। इसी प्रकार उनका बेटा मोंटी कश्यप भी खूंटाघाट में हुए एक गंभीर मामले में जेल भेजा जा चुका है। इनकी शिकायत पर रतनपुर पुलिस ने तीन दिन बाद बिना तहकीकात के प्रार्थियों के खिलाफ ही अपराध दर्ज कर लिया। श्रीवास ने बताया कि 27 जनवरी को घटनास्थल पर उनका भाई आनंद श्रीवास मौजूद ही नहीं था। शिवनारायण ने उनके कार्यकर्ताओं को डराया-धमकाया, मारपीट की और गाड़ियों में तोड़-फोड़ की। एक कार्यकर्ता को उन्होंने बंधक भी बना लिया। आरोपियों ने अपने-आपको बचाने के लिए तीन दिन बाद शिकायत की और पुलिस ने उसे सही मानते हुए प्रार्थियों के खिलाफ अपराध भी दर्ज कर लिया। श्रीवास ने कहा कि वे पूरी घटना की शिकायत गृह मंत्री से करेंगे, साथ ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे।