बिलासपुर। लॉकडाउन में घर पर रहते हुए नशे की आदत से तौबा की जा सकती है। नशे की आदत छोड़ने में लॉकडाउन उन लोगों के लिये वरदान साबित हो सकता है जिन्होंने इस दौरान शराब या पान व गुटके का सेवन  नही  किया है वह आत्मशक्ति को मज़बूत कर लें तो नशे की आदत को सदा के लिए छोड़ सकते है।  अपनी सेहत के साथ-साथ वे आर्थिक लाभ भी पा सकते है । देखा जाये तो शराब व पान की दुकानें बंद होने से शराब गुटखा व पान मसाला नहीं मिल रहा है। जहां मिल भी रहा है  कीमतें अधिक है। इसीलिए लॉकडाउन में नशे की आदत को छोड़ देना बहुत मुश्किल नहीं है ।

छत्तीसगढ़ में नशा करने वाले लोगों का प्रतिशत ज्यादा है। नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे 2015-16 के अनुसार प्रदेश में 29.86 प्रतिशत आबादी तम्बाकू की आदि है और 7.14 प्रतिशत दारू पीने की।  नशे का आदि होना भी मानसिक अस्वस्थता होती है जिसके कारण घरेलू हिंसा भी हो सकती है या व्यक्ति आत्महत्या भी करता है। नशे की आदत के कारण, व्यक्ति ठीक से रोज़ी रोटी नहीं कमा सकता है और उसकी तबियत खराब रहती है । पैसे की तंगी की वजह से आर्थिक स्थिति ख़राब होती है और कई बार बच्चों की पढाई छूट जाती है।

राज्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय (सेंदरी) बिलासपुर के डॉ. दिनेश कुमार लहरी क्लिनिकल साइकोलॉजिस्टने बताया 22 मार्च के बाद देश में लॉकडाउन है। ऐसे समय में शराब और पान ठेलों की दुकानें भी बंद है। आवश्यक वस्तुओं में यह शामिल नहीं होने के कारण इन का परिवहन बंद है। ऐसे में अब यह आसानी से नहीं मिल रही है। वहीं लॉक डाउन के दौरान इधर -उधर भटकने पर कार्रवाई का सामना करना है। “ऐसे में अगर लोग नशे को ही छोड़ दें तो उनके स्वास्थ्य के साथ साथ आर्थिक लाभ भी होगा । इन दिनों में नशा छोड़ने वालों के लिए सबसे बेहतर मौका है,’’ डॉ लहरी का कहना है ।

डॉ.लहरी ने कहा नशा शौक से शुरु होता है और आत्मशक्ति से छोडा जा सकता है। समाज में ऐसे तमाम उदाहरण है जहॉ लोगों ने ठान लिया कि नशे की आदत को छोड़ना है तो उन्होंने छोड़ दिया। आज वह बेहतर जीवन जी रहे है।

जो व्यक्ति नशे की आदत से पीडित है या नशे पर नियंत्रण ना कर पाना उसकी मजबूरी होता है क्योंकि ये एक बढ़ती हुई आदत है और व्यक्ति को धीरे-धीरे नशे का आदी बनाती चली जाती है। फिर एक समय ऐसा आता है जब व्यक्ति पूर्ण रूप से नशे गिरफ्त में आ जाता है। लगातार नशे की आदत पर उसकी शारीरिक और मानसिक निर्भरता बढ जाती है। वहचाह कर भी खुदको नशे से नहीं रोक सकता है। लॉकडाउन के बाद भी लोग नशा छोड़ने का निर्णय ले सकते हैं क्योंकि इतने दिन बिना नशे के उन्होंने बिता ही लिए हैं।

नशा छोड़ने से व्यक्ति सुखद महसूस करता है, उसके फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होता है तथा हार्ट अटैक की संभावना कम होती है। इससे फिजूलखर्ची भी रुकती है और कैंसर होने की संभावना भी घटती है।  नशा छोड़ देने से ब्लड प्रेशर और हृदयगति को सामान्य करने में मदद मिलती है।

 

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