नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल, स्नैपचैट, शेयरचैट, जियोचैट, अराटाई और जोश जैसे लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करने वाले नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन नियमों के तहत अब यूजर्स को अपनी डिवाइस में एक्टिव सिम कार्ड रखना अनिवार्य होगा, वरना ऐप्स का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा।
सिम बाइंडिंग का नया नियम: धोखाधड़ी पर लगाम
दूरसंचार विभाग (डॉट) ने टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी अमेंडमेंट रूल्स, 2025 के तहत यह निर्देश दिया है। इसका मतलब है कि मैसेजिंग ऐप्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि यूजर का अकाउंट उसी डिवाइस से जुड़ा रहे जहां एक्टिव सिम कार्ड हो। अगर सिम हटा दिया जाए, तो ऐप एक्सेस ब्लॉक हो जाएगा। सरकार का कहना है कि यह कदम टेलीकॉम से जुड़े साइबर क्राइम और पहचान धोखाधड़ी को रोकने के लिए जरूरी है। पहले ऐसे मामलों में अपराधी बिना सिम के डिवाइस पर ऐप्स चलाकर गलत काम करते थे, लेकिन अब यह संभव नहीं रहेगा।
वेब वर्जन पर 6 घंटे की सीमा: बार-बार लॉगआउट
नए नियमों में वेब वर्जन के लिए भी सख्ती है। 90 दिनों के अंदर ऐप कंपनियों को यह लागू करना होगा कि व्हाट्सएप वेब या टेलीग्राम वेब जैसे प्लेटफॉर्म हर 6 घंटे बाद ऑटोमैटिक लॉगआउट हो जाएं। इसके बाद यूजर्स को क्यूआर कोड स्कैन करके दोबारा लिंक करना पड़ेगा। यह सुविधा यूजर्स को मिलेगी, लेकिन इसका उद्देश्य सिक्योरिटी बढ़ाना है। डॉट ने 28 नवंबर को जारी नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभावी कर दिया है, जो पहली बार ऐप-बेस्ड कम्युनिकेशन को टेलीकॉम ऑपरेटर्स की तरह रेगुलेट करता है।
यूजर्स पर क्या असर? कंपनियां क्या कहेंगी?
ये बदलाव करोड़ों भारतीय यूजर्स की आदतों को प्रभावित करेंगे, खासकर जो लोग वाई-फाई पर बिना सिम के ऐप चलाते हैं। प्राइवेसी और यूजर एक्सपीरियंस पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन सरकार इसे राष्ट्रीय सिक्योरिटी से जोड़ रही है। अभी तक कंपनियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसे लागू करने में चुनौतियां होंगी। यूजर्स को सलाह दी जा रही है कि वे जल्दी से अपने डिवाइस को अपडेट करें।
ये दिशानिर्देश डिजिटल इंडिया को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं, लेकिन क्या ये यूजर्स की सुविधा को प्रभावित करेंगे? आने वाले दिनों में कंपनियों की प्रतिक्रिया पर नजर रहेगी।













