बिलासपुर, 4 जुलाई। निर्धारित समय पर परिवहन नहीं होने से अब धान खराब हो रहा है। ऐसे में प्रदेश के किसानों की मेहनत और आम जन के पैसे बर्बाद होने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र, राज्य, मार्कफेड के तरफ से जवाब आ गया है। अब याचिकाकर्ता को दो सप्ताह का समय कोर्ट ने समय दिया है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा व न्यायाधीश पीपी साहू की युगलपीठ में हुई।
समाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि धान खरीदी सत्र 2019-20 के लिए नियम था कि 15 फरवरी तक धान खरीदी होनी है। वहीं 28 फरवरी तक यह धान खरीदी समिति से परिवहन कर संग्रहण केन्द्र भेजना था। कुछ क्षेत्र में 31 मई और कुछ क्षेत्र में 30 जून तक धान को मिलर्स को भेजना था। लेकिन यह धान संग्रहण केन्द्र में ही रह गया। बारिश में पानी पड़ने से खराब होने की बात कहकर अब मिलर्स उस धान को लेना नहीं चाह रहे हैं। वहीं केन्द्र सरकार के गोदाम का नियम है कि धान की उच्च गुणवत्ता होनी चाहिए। इस तरह प्रदेश के किसानों का मेहनत और जनता के धन का धान खराब कर दुरूपयोग किया गया है। मामले में पूर्व  में कोर्ट ने शासन से जवाब मांगा था। इस पर मार्कफेड, केन्द्र व राज्य सरकार के तरफ से जवाब आ गया है। इस जवाब के बाद अब याचिकाकर्ता के तरफ से कम्प्लाइंस के लिए दो सप्ताह का समय मांगने पर कोर्ट ने दिया है।

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