मिनी रत्न एसईसीएल में सांस्कृतिक संध्या
बिलासपुर। मिनी रत्न सार्वजनिक उपक्रम साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के वसंत विहार स्थित ग्राऊण्ड में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में साधना सरगम की सुरीली तान तथा सुरेन्द्र दुबे के ठहाकों ने दर्शकों का मन जीत लिया। एसईसीएल स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एसईसीएल शीर्ष प्रबंधन के साथ-साथ बिलासपुर में पदस्थ राज्य शासन एवं रेलवे के आला अधिकारी भी उपस्थित हुए। इसमें संभागायुक्त बिलासपुर, आईजी बिलासपुर रेंज, जिलाधिकारी व एसपी बिलासपुर, एसईसीआर रेल्वे से डीआरएम व अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
एसईसीएल की ओर से सीएमडी ए.पी. पण्डा, निदेशक (कार्मिक) डॉ. आर.एस. झा, निदेशक तकनीकी (संचालन) कुलदीप प्रसाद, निदेशक तकनीकी (योजना/परियोजना) आर.के. निगम, श्रद्धा महिला मण्डल की अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, विभिन्न विभागाध्यक्ष एवं बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी तथा उनके परिजन उपस्थित थे।
इस अवसर पर सीएमडी एसईसीएल एवं श्रद्धा महिला मण्डल अध्यक्ष पुष्पिता पण्डा, निदेशक मण्डल एवं महिला मण्डल उपाध्यक्षागणों द्वारा संयुक्त रूप से पार्श्वगायिका साधना सरगम तथा कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे का शाल, श्रीफल द्वारा सम्मान किया गया।
साधना सरगम की सुर लहरियों पर झूमे दर्शक
सुप्रसिद्ध पार्श्व गायिका साधना सरगम के कार्यक्रम की शुरूआत जय गणेशा वंदना से की। इसके बाद उन्होंने आ जाने जा…, गुलाबी आंखें जो तेरी देखी…, जैसे सदाबहार गीत प्रस्तुत किये। साधना सरगम ने खुद के गीत भी गाये जिनमें चाहे तुम कुछ न कहो, चुपके से रात के चादर तले…आदि शामिल हैं।
अपने व्यंग्य विनोद तथा हास्य रस से कवि सुरेन्द्र दुबे ने भी दर्शकों को खूब हंसाया। छत्तीसगढ़ी में उन्होंने राज्य की परम्पराओं एवं लोगों के आचार-विचार एवं भाव-भंगिमाओं के जरिए हास्य रस उकेरा। उन्होंने बेटी और मैं बस्तर हूं शीर्षक की दो भावपरक कविताओं से भी दर्शकों के अंर्तमन तथा चेतना को आलोड़ित किया।