कुली से चैंपियन तक का सफर

कोरबा जिले के रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले दीपक पटेल, जिन्हें उनके साथी “कुली नंबर-1” के नाम से जानते हैं, ने एक बार फिर अपनी मेहनत और लगन का शानदार प्रदर्शन किया है। दीपक ने उत्तराखंड के देहरादून में आयोजित उत्तर भारत फेडरेशन कप पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप-2024 में प्रदेश के सभी खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए चैंपियन का ताज पहना।

भव्य स्वागत

दीपक पटेल के कोरबा स्टेशन पर उतरते ही उनकी 16 वर्षीय बेटी नेहा पटेल ने पुष्पगुच्छ और पुष्प हार के साथ उनका स्वागत किया। नेहा के इस भावुक स्वागत ने दीपक की सफलता को और भी खास बना दिया।

चैंपियनशिप की कहानी

एमेच्योर पावर लिफ्टिंग एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता का शुभारंभ 13 जुलाई को देहरादून के सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी ऑडिटोरियम में हुआ। दो दिवसीय इस प्रतियोगिता में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब सहित अन्य राज्यों के कुल 200 खिलाड़ियों ने भाग लिया।

दीपक का अद्वितीय प्रदर्शन

दीपक पटेल ने अंडर 56 किलोग्राम वेट कैटेगरी में अपने अद्वितीय प्रदर्शन से सभी का ध्यान खींचा। उन्होंने स्क्वाट में 135 किलोग्राम, बेंच प्रेस में 85 किलोग्राम और डेड लिफ्ट में 175 किलोग्राम का वजन उठाया, जो कुल मिलाकर 395 किलोग्राम बनता है। इस शानदार प्रदर्शन के साथ दीपक ने सभी कैटेगरी में गोल्ड मेडल हासिल किया।

पूर्व की उपलब्धियाँ

दीपक इससे पहले भी विभिन्न प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। उनकी इस नई उपलब्धि से उनके साथी कुली, परिजन और शुभचिंतक सभी बेहद खुश हैं।

संघर्ष और सफलता की कहानी

दीपक ने बचपन से ही पावर लिफ्टिंग का शौक रखा और अब उनके दोनों बेटे भी इस खेल में रुचि रखते हैं। दीपक बताते हैं कि पावर लिफ्टिंग में काफी मेहनत और पर्याप्त डाइट की आवश्यकता होती है। रेलवे अधिकारी उनकी डाइट की व्यवस्था में यथासंभव सहयोग करते हैं, लेकिन दीपक इस बात का मलाल है कि वह अपनी कमाई से पर्याप्त डाइट की व्यवस्था नहीं कर पाते।

भविष्य की उम्मीदें

दीपक को उम्मीद है कि इस क्षेत्र में आगे बढ़ने पर और भी अवसर मिलेंगे। फिलहाल उनकी शासन-प्रशासन से कोई विशेष मांग नहीं है, लेकिन वह चाहते हैं कि भविष्य में पावर लिफ्टिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उन्हें आवश्यक प्रशासनिक सहयोग मिले।

प्रेरणा देने वाली कहानी

दीपक पटेल की यह सफलता उनके अथक प्रयास, समर्पण और संघर्ष की प्रेरक कहानी है। उनकी मेहनत और सपनों को साकार करने के लिए उन्हें प्रशासनिक सहयोग और समर्थन की आवश्यकता है। उनकी यह यात्रा सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।

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