बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जल संसाधन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन देर से करने के आधार पर एक याचिका खारिज कर दी है। विभाग के फैसले को कोर्ट ने सही माना है।
याचिकाकर्ता ताम्रध्वज के पिता पुनाराम यादव जल संसाधन विभाग दुर्ग में वाटरमैन के पद पर कार्यरत थे। उनका निधन 14 फरवरी 2005 को सेवा के दौरान हुआ था। पिता की मृत्यु के लगभग ढाई साल बाद, 17 अक्टूबर 2007 को ताम्रध्वज ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए जल संसाधन विभाग रायपुर के चीफ इंजीनियर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। विभाग ने इसे देरी से प्रस्तुत मानते हुए खारिज कर दिया, जिसके बाद ताम्रध्वज ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि जब पिता की मृत्यु हुई, तब ताम्रध्वज नाबालिग था। कानूनी रूप से वयस्क होने के बाद ही उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। अधिवक्ता ने कहा कि यह देरी अनिवार्य थी क्योंकि ताम्रध्वज कानूनी उम्र से पहले आवेदन नहीं कर सकता था। विभाग की ओर से यह ध्यान में लाया गया कि याचिकाकर्ता के अन्य भाई भी हैं, जो बालिग हो चुके थे। पिता की मृत्यु के बाद उनमें से कोई भी पुत्र निर्धारित समय पर आवेदन कर सकता था।
हाई कोर्ट ने ताम्रध्वज की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि देरी के लिए कोई संतोषजनक कारण प्रस्तुत नहीं किया गया। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि इस तरह की देरी से न्याय प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है और इससे जनता में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। कोर्ट ने साफ कहा कि बिना किसी पर्याप्त कारण के विलंब से की गई कार्रवाई का परिणाम याचिकाकर्ता को ही भुगतना पड़ेगा।
निर्धारित समयसीमा का पालन जरूरी
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि राज्य शासन द्वारा अनुकंपा नियुक्ति के लिए जो दिशा-निर्देश तय किए गए हैं, उनके अनुसार कर्मचारी की मृत्यु के छह महीने के भीतर ही आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए। ताम्रध्वज द्वारा निर्धारित समयसीमा से बाहर आवेदन किया गया, जो नियमों का उल्लंघन था।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
इस मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने अपने फैसले में यह टिप्पणी की कि प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि लापरवाह और आलसी व्यक्तियों को न्यायालय से सहायता मिलने की संभावना कम होती है।