बिलासपुर। राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन (RGSM) के नाम पर 5 करोड़ 29 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी का मामला सामने आया है। गारमेंट्स सप्लाई व्यवसायी मनोज तिवारी की शिकायत पर तारबाहर थाने में चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि दिल्ली की एक कथित संस्था ने सरकारी टेंडर का झांसा देकर पहले 40 लाख रुपए सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लिए और फिर 30 करोड़ के कपड़े का ऑर्डर देकर माल की सप्लाई करवा ली, लेकिन न तो भुगतान किया गया और न ही माल वापस किया गया।

सरकारी मोहर और फर्जी दस्तावेजों का किया इस्तेमाल
शिकायतकर्ता ने बताया कि RGSM के नाम पर टेंडर की जानकारी पहले फोन पर दी गई और फिर संस्था के प्रतिनिधियों ने बिलासपुर आकर जानकारी दी। दिल्ली में हुए एक रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के अनुसार स्वेटर की सप्लाई करनी थी, जिसके एवज में 25 लाख का बैंक ड्राफ्ट और 15 लाख नगद सिक्योरिटी जमा कराई गई। आरोपियों ने भारत सरकार के नाम और मुहर का फर्जी इस्तेमाल करते हुए संस्था को सरकारी दर्शाया, जिससे विश्वास में लेकर व्यवसायी से टेंडर और सप्लाई का काम शुरू करवाया गया।

30 करोड़ के ऑर्डर के बदले नहीं मिला भुगतान
प्रार्थी के अनुसार उसने जनवरी 2025 तक 5.29 करोड़ की स्वेटर सप्लाई कर दी थी। लेकिन भुगतान की मांग पर आरोपियों ने एक चेक दिया जो बाउंस हो गया। बाद में पता चला कि खाते में पैसे ही नहीं थे। जब दुबारा संपर्क किया गया, तो आरोपियों ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल दी।

चार के खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज
तारबाहर थाना पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर अनीता उपाध्याय, करुणाकर उर्फ रत्नाकर उपाध्याय, सौरभ सिंह और प्रांशु अग्रवाल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 316(2), 318(4), 336(1)(3), 338, 340(2), 341(1), 346 और 361(2) के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।

शिकायतकर्ता का व्यवसाय बंद, परिवार आर्थिक संकट में
व्यवसायी का कहना है कि इतनी बड़ी राशि डूबने से उसका कारोबार ठप हो गया है, कर्मचारियों का वेतन और बैंक लोन तक चुकाना मुश्किल हो गया है। इस धोखाधड़ी से उसके परिवार पर भारी आर्थिक और मानसिक संकट आ गया है। उसने मांग की है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और आरोपियों से पूरी राशि की वसूली कर उसे न्याय दिलाया जाए।

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