बिलासपुर। तखतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में मानवता का एक अद्भुत उदाहरण सामने आया, जब डॉक्टरों और स्टाफ ने अंधेरे में सिर्फ मोबाइल टॉर्च की रोशनी के सहारे महिला का सुरक्षित प्रसव कराया। अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के साहस और तत्परता की जितनी भी तारीफ की जाए, कम है। लेकिन यह भी कटु सच्चाई है कि ऐसी स्थिति बिजली विभाग की लापरवाही के कारण बनी, जिसने बार-बार शिकायतों के बावजूद दिनभर बिजली बहाल नहीं की।

घटना 17 अगस्त की शाम की है। सुबह से बिजली गुल थी और सीएचसी कर्मचारियों ने तीन बार लिखित और कई बार मौखिक शिकायतें बिजली विभाग को दीं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। इन्वर्टर का बैकअप भी शाम तक खत्म हो गया। इसी बीच रात 7:30 बजे एक महिला प्रसव के लिए पहुंची। डॉक्टरों और स्टाफ के सामने बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और परिजनों के मोबाइल टॉर्च मंगाकर उसकी रोशनी में डिलीवरी कराई। यहां तक कि टांके लगाने का काम भी इसी तरह किया गया। डॉक्टरों के इस साहसिक प्रयास से जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहे।

सीएमएचओ शोभा गढ़ेवाल ने बुधवार को मौके का निरीक्षण किया और स्पष्ट किया कि अस्पताल या स्टाफ की कोई लापरवाही नहीं थी, बल्कि यह पूरी तरह से बिजली विभाग की अनदेखी का परिणाम है। जब इस संबंध में जिम्मेदार अधिकारियों, सहायक यंत्री हरिनारायण लहरी और कनिष्ठ अभियंता रचित दुआ से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन तक रिसीव नहीं किया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि तखतपुर में दिन में 10 से 20 बार बिजली कटना आम बात हो गई है। स्वास्थ्य सेवाओं को आपातकालीन सेवा माना जाता है, लेकिन बिजली विभाग की मनमानी से मरीजों का इलाज और प्रसव जैसे संवेदनशील कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।

निरीक्षण में यह भी सामने आया कि सीएचसी में जनरेटर तक नहीं है और पूरा अस्पताल सिर्फ इन्वर्टर पर निर्भर है। लंबी बिजली कटौती होने पर इन्वर्टर भी जवाब दे देता है। अगर अस्पताल में जनरेटर होता, तो इस तरह की नौबत ही नहीं आती। (रिपोर्ट टेकचंद कारड़ा)

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