बिलासपुर। कोविड 19 के दौर में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति कार्यरत और उपयोगी है। कई बिमारियों में इस पद्धति से ही ईलाज संभव है, और इसका कोई विकल्प नहीं है। आज आयुर्वेद लोगों का लाईफस्टाइल बन चुका है। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर में धनवंतरी जयंती के अवसर पर संभागायुक्त एवं विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डाॅ. संजय अलंग ने उक्त बातें कही।विश्वविद्यालय में आज धनवंतरी जयंती पर आयुर्वेद दिवस मनाया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, अधिकारियों कर्मचारियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रति जागरूक किया गया। और उन्हें कोविड-19 से बचाव के लिए काढ़ा एवं आयुर्वेद के अन्य चिकित्सा लाभों से परिचित कराया गया। प्रभारी कुलपति डाॅ. अलंग ने कहा कि इस पारम्परिक विद्या को आयुर्वेद दिवस के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया जा रहा है। आयुर्वेद, युनानी एवं हौम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को लोकप्रिय बनाने के लिए शासन प्रयासरत् है। इसमें उपचार में समय लगता है। लेकिन इसके बेहतर चिकित्सकीय परिणाम मिल रहें है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद के तहत् आधुनिक चिकित्सा पंचक्रम के लिए लोगों को केरल जाना पड़ता था। लेकिन अब यह सुविधा बिलासपुर मेडिकल काॅलेज में भी उपलब्ध कराई जा रहीं है, जिसके लिए श्रीधारियम संस्थान से टाईअप किया गया है। डाॅ. अलंग ने कहा कि छोटी-मोटी बिमारियों के लिए आयुर्वेद में बेहतर चिकित्सा उपलब्ध है और इसके कोई साईड इफेक्ट नहीं होते।

इस अवसर पर स्वागत उद्बोधन करते हुए शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय बिलासपुर के प्राचार्य डाॅ. रक्षपाल गुप्ता ने कहा कोविड-19 के विरूद्ध लड़ाई में आयुर्वेद चिकित्सक कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दे रहें है। काढ़ा के साथ अन्य चिकित्सा व्यवस्था  भी लोगों को उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन 200 मरीजों का ईलाज किया जा रहा है। कोविड के दौर में  08 गर्भवती महिलाओें का प्रसव भी यहां कराया गया।

कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. सुधीर शर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर हरि होता सहित आयुर्वेद महाविधालय के डाॅ. प्रवीण कुमार मिश्र, डाॅ. सचिन कुमार बघेल, डाॅ. मंयक कुलश्रेष्ठ, डाॅ. नोमिता दीवान एवं अन्य चिकित्सक, इन्टर्स कर्मचारी उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित सभी को काढ़ा का सेवन कराया गया।

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