सीवीआरयू में ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता एवं प्रासंगिकता पर परिचर्चा

बिलासपुर। डॉ. सी. व्ही. रामन विश्विद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्य भाषा विभाग एवं आई क्यू एसी द्वारा ज्योतिष शास्त्र कि वैज्ञानिकता एवं प्रासंगिता विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया । इसमें ज्योतिष शास्त्र के वक्ता बीआईटी दुर्ग के विद्युत अभियांत्रिकी विभाग के विद्वान प्रो. अनूप मिश्रा ने व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. आरपी दुबे ने की।

इस अवसर पर प्रो. दुबे ने कहा कि आज पूरा भारत भारतीय ज्ञान परंपरा का लोहा मान रहा है। पूरी दुनिया इस दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। भारतीय ज्ञान का मूल वेद है और वेद के 6 अंग हैं। इसमें शिक्षा, कल्प, ज्योतिष, व्याकरण, छंद शामिल है अर्थ यह है कि ज्योतिष वेदों का महत्वपूर्ण अंग है इसलिए जब आज पूरी दुनिया भारतीय ज्ञान परंपरा को स्वीकार कर रही है। ऐसे में हमारा भी दायित्व है कि हम ज्योतिष को भावी पीढ़ी तक पहुंचाएं और उसके महत्व को सबके सामने रखें।

सीवीआरयू के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि आज हमारे बीच एक इंजीनियर हैं जो ज्योतिष शास्त्र के बारे में बताएंगे। वास्तव में एक इंजीनियर ही ज्योतिष को बेहतर समझ सकता है क्योंकि वह हर बात पर प्रामाणिक रूप को स्वीकार करता है।

कार्यक्रम में वक्ता प्रोफेसर अनूप मिश्रा ने ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न भागों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने समस्त ग्रह के प्रभाव,  नक्षत्र,  कर्म, भाग्य, धर्म, सहित विभिन्न विषयों पर विस्तार से बताया। कार्यक्रम में उपस्थित डीन एकेडमिक डॉ अरविंद तिवारी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का वैज्ञानिक शोधन करके भावी पीढ़ी को हस्तांतरित करना अत्यंत आवश्यक है। इस दिशा में विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है। कार्यक्रम में स्वागत भाषण आयोजन के समन्वयक और संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश मिश्रा ने दिया। संचालन स्नेहलता निर्मलकर ने किया।

सीवीआरयू में जर्मन भाषा पढ़ाई शुरू, आगे और

डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय में जर्मन भाषा की पढ़ाई प्रारंभ हो गई।  इस सत्रे के उद्घाटन अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि आज समय ग्लोबल है। ऐसे में पूरी दुनिया में जॉब के अवसर हर किसी के लिए उपलब्ध है। इसलिए विद्यार्थियों को विदेशी भाषाओं का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। इसीलिए जर्मन भाषा की पढ़ाई विश्वविद्यालय में भी प्रारंभ की गई है। बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने इसका चयन किया है। यह एक बहुत अच्छी शुरुआत है।  हम आगे भी अन्य देशों की भाषाओं की पढ़ाई यहां शुरू करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत भारतीय भाषाओं को भी सीखने का कार्य होगा।

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