डॉ. खरे पर जवाबदारी थी बेटियों की भ्रूण हत्या रोकने की, पर काम करते थे वसूली का
बिलासपुर। सीएमएचओ कार्यालय के अपने दफ्तर में 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश खरे को आज शाम कोर्ट ने जेल भेज दिया।
कन्या भ्रूण परीक्षण रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने हर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में भ्रूण परीक्षण करने, भ्रूण हत्या रोकने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर रखी है। बिलासपुर में जिस डॉक्टर अविनाश खरे के हाथ में यह जवाबदारी सौंपी गई थी, उन्होंने इस पद को उगाही का जरिया बना रखा था। काफी दिनों से सोनोग्रॉफी और सीटी स्कैन सेंटर चलाने वाले रेडियोलॉजिस्ट और डॉक्टर उनसे परेशान थे, जिसका नतीजा आज सामने आया। सिम्स गेट के सामने जायसवाल सोनोग्राफी सेंटर तथा पेन्ड्रारोड में जायसवाल डायग्नोस्टिक सेंटर चलाने वाले रेडियोलॉजिस्ट डॉ. राहुल जायसवाल से 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए डॉ. खरे को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने रंगे हाथों पकड़ लिया।
एसीबी टीम का नेतृत्व कर रहे डीएसपी अजितेश सिंह ने www.blive.news को बताया कि आज दोपहर 12.40 बजे एक महिला निरीक्षक, तीन सब- इंस्पेक्टर, एक हवलदार के साथ यह कार्रवाई की गई। डॉ. खरे को योजनाबद्ध तरीके से उसके दफ्तर में डॉ. जायसवाल ने केमिकल लगे 500 रुपये के 100 नोट हाथ में थमाये, जिसे डॉ. खरे ने तुरंत अपनी पेंट में रख लिया। एसीबी टीम ने तुरंत उनके रंगे हुए हाथ सहित पेंट से रुपये बरामद कर लिये और वहीं पर डॉ. खरे को हिरासत में ले लिया गया। डॉ. खरे के कपड़ों को भी जब्त कर लिया गया। कार्रवाई में लोक निर्माण विभाग और पशु चिकित्सा विभाग के दो अधिकारियों को भी गवाह के रूप में रखा गया था। डॉ. खरे के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, संशोधित 2019 की धारा 13 के तहत गिरफ्तार कर उन्हें न्यायालय में पेश किया गया। प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश खिलावन राम रिगरी की कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दे दिया।
दरअसल, डॉ. जायसवाल का एक आवेदन सीएमएचओ कार्यालय में जमा है, जिसमें उन्होंने सिम्स के सामने स्थित अपने सोनोग्राफी सेंटर में सिटी स्कैन मशीन स्थापित करने की अनुमति मांगी है। डॉ. खरे ने इसके लिए एक लाख रुपये रिश्वत के रूप में मांगे थे। डॉ. जायसवाल इससे परेशान थे, क्योंकि वे पहले भी इस सोनोग्रॉफी सेंटर और पेंड्रारोड के डायग्नोस्टिस सेंटर के लिए एक-एक लाख रुपये डॉक्टर को रिश्वत दे चुके थे। उन्होंने बताया कि डॉ. खरे हर बात पर रुपयों की मांग करते हैं। उनके दफ्तर का एक बाबू मिश्रा भी इसमें शामिल है। रुपये देने से मना करने पर जांच करने और फंसा देने की धमकियां दी जाती हैं। डॉ. जायसवाल ने पहले 25 हजार रुपये दिये और सिटी स्कैन मशीन लगाने की अनुमति देने का अनुरोध किया। जैसा आरोप है कि डॉ. खरे ने कह दिया कि एक लाख रुपये से एक रुपये कम में भी बात नहीं होगी। तब डॉ. जायसवाल ने सबक सिखाने की ठानी। वे अपनी शिकायत लेकर मार्च माह में एसीबी दफ्तर गये। वहां उन्हें डीएसपी अजितेश सिंह ने एक रिकार्डिंग डिवाइस सौंपा और डॉक्टर से बातचीत करने कहा। डॉ. जायसवाल ने डॉ. खरे से बातचीत की और उसे रिकॉर्ड कर लिया। इसमें डॉ. शेष 75 हजार रुपये की जगह 50 हजार रुपये में काम हो जाने की बात कह रहे हैं। इस आधार पर 9 अप्रैल को डॉ. जायसवाल की शिकायत दर्ज कर ली गई थी और रिश्वत लेते हुए दबोचने के लिए आज का दिन तय कर दिया गया था।
डॉ. जायसवाल का कहना है कि डॉ. खरे से अकेले वे नहीं बल्कि कई और सोनोग्रॉफी सेंटर चलाने वाले त्रस्त थे। वे सबसे किसी न किसी बात पर वसूली के फिराक में रहते थे। उच्चाधिकारियों की जानकारी और सहमति के बगैर वे सोनोग्रॉफी सेंटर संचालकों को नोटिस भेजते थे और फिर उसे रफा-दफा करने के लिए रकम ऐंठते थे।