सुपरनोवा विखंडन की क्रिया के दौरान गुरुत्वाकर्षण अस्थिरता की दर का किया गया है अध्ययन
गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. आर.पी.प्रजापति ने जापान के कनाजावा में 12 से 17 नवम्बर तक आयोजित द्वितीय एशिया पेसिफिक प्लाजमा कांफेंस में भाग लिया। इस कान्फ्रेंस में उन्हें सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी है।
उक्त कान्फ्रेंस का आयोजन एसोसियेशन ऑफ एशिया पेसिफिक फिजिकल सोसायटी के प्लाज्मा फिजिक्स डिविजन द्वारा किया गया जिसमें एशियाई देशों, यूरोप व अमेरिका के लगभग 600 प्लाज्मा भौतिकविदों ने भाग लिया। कान्फ्रेंस में प्लाज्मा भौतिकी के 10 उप विषयों जैसे-मैग्नेटिक फ्यूजन प्लाज्मा, सोलर व खगोल प्लाजमा, एप्लाइड प्लाज्मा, लेजर प्लाज्मा, बेसिक प्लाज्मा इत्यादि में सामानांतर तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इस कान्फ्रेंस में डॉ.. प्रजापति को आमंत्रित किया गया था जिन्होंने अपने शोध कार्यों को सोलर तथा खगोल प्लाज्मा के तकनीकी सत्र में मौखिक तथा पोस्टर के माध्यम से प्रस्तुत किया जिसे सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र के अवार्ड से नवाजा गया। शोध पत्र अवार्ड कान्फ्रेंस के अध्यक्ष प्रो. मित्सुरू किकुची (जापान) व चयन समिति के अध्यक्ष प्रो.रोनी केप्पन (बेल्जियम) के द्वारा दिया गया।
अपने शोध कार्य में डॉ. प्रजापति ने बताया कि सुपरनोवा विखंडन के दौरान उत्पन्न न्यूट्रीनो कण प्लाज्मा कणों से क्रिया कर अपनी उर्जा को प्लाज्मा में स्थानांतरित करते हैं। इसके फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली गुरुत्वाकर्षण अस्थिरता की दर बढ़ती है और यह सुपरनोवा कोर संघटन की क्रिया को प्रमुख रूप से प्रभावित करती है।
अपने शोध कार्य में उन्होंने गुरुत्वाकर्षण अस्थिरता के समय काल की गणना की, जो लगभग 1 सेकण्ड पाया गया। यह समकाल सुपरनोवा विखंडन के समयकाल के बराबर पाया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि न्यूट्रीनों कणों का प्रभाव सुपरनोवा कोर कोलेप्स में महत्वपूर्ण होता है। यह भी ज्ञात हो कि हाल ही में आस्ट्रेलिया के टेलीस्कोप द्वारा सुपरनोवा के विखंडन की घटना को देखा गया है, जिसमें अति उच्च उर्जा की गामा बीम निकलती है इसलिये इसे शोध कार्य की प्रासंगिकता खगोल शास्त्र में सुपरनोवा तारों के विखंडन के अध्ययन में बढ़ जाती है। यह शोध कार्य अमेरिकन इस्टिटय्ट के प्रतिष्ठित शोध जर्नल फिजिक्स ऑफ प्लाज्मा में प्रकाशित भी हो चुका है। डॉ. प्रजापति की इस उपलब्धि पर भौतिकी विभाग सहित अन्य विभागों के शिक्षकों ने भी उन्हें बधाई दी है।