बिलासपुर। बिल्हा थाना क्षेत्र में सांप के काटने से मौत का एक मामला पूरी तरह से फर्जी और षड़यंत्रपूर्वक रचा गया था, जिसका मकसद था सरकार से 3 लाख रुपये मुआवजा प्राप्त करना। जांच में खुलासा होने के बाद पुलिस ने वकील, डॉक्टर और मृतका के परिजनों सहित पांच लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज किया है।

यह मामला ग्राम लखरदा (बिल्हा) की फको बाई खलको की संदिग्ध मृत्यु से जुड़ा है, जिसकी मौत 12 नवंबर 2023 को उपचार के दौरान हुई थी। उसके परिजनों ने दावा किया था कि उसे सांप ने काट लिया था, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर इलाज के दौरान मौत हो गई।

झूठी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का बनाया गया आधार

परिजनों के सहयोग से वकील दिकरसलाल सागर ने यह तर्क रखा कि यदि मौत सांप काटने से हुई है, तो सरकार की योजना के तहत 3 लाख रुपये मुआवजा मिल सकता है। इस मंशा से उन्होंने फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनवाने की कोशिश की, जिसमें मौत का कारण “सांप के काटने” को दर्शाया गया।

हालांकि, जब पुलिस ने मामले की गहराई से जांच की, तो पता चला कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सांप के काटने का कोई निशान नहीं था, और न ही डॉक्टरों को ऐसे किसी लक्षण की जानकारी दी गई थी। महिला को शराब और नशीले पदार्थ के सेवन के कारण अस्पताल लाया गया था, न कि किसी जहरीले जीव के काटने से।

फर्जी दावा कर मुआवजा लेने की साजिश

पुलिस जांच में यह सामने आया कि महिला के इलाज के दौरान मौजूद डॉ. प्रियंका सोनी ने बिना ठोस प्रमाण के मृतक को सर्पदंश का शिकार मानकर सिम्स रेफर किया था। बाद में परिजनों ने इस आधार पर मुआवजे का आवेदन भी दिया, जिसमें दावा किया गया कि मृत्यु सांप के काटने से हुई है।

यह साजिश एक सोची-समझी योजना के तहत रची गई थी। आरोपी वकील, डॉक्टर और मृतका के पिता, पति और देवर ने मिलकर षड़यंत्रपूर्वक एक झूठी कहानी गढ़ी और सरकारी धन हड़पने का प्रयास किया।

FIR में जिनके नाम शामिल हैं:

  1. दिकरसलाल सागर – अधिवक्ता
  2. डॉ. प्रियंका सोनी – मेडिकल ऑफिसर
  3. ईश्वरलाल खलको – मृतका का पिता
  4. उर्मिला खलको – रिश्तेदार
  5. घनश्याम खलको – मृतका का देवर

इन सभी पर धोखाधड़ी), अपराध का प्रयास) और षड़यंत्र के तहत अपराध दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि यह पूरा मामला आर्थिक लाभ लेने के लिए रचा गया जाल था, जिसे जांच के दौरान पूरी तरह बेनकाब किया गया।

एसपी रजनेश सिंह के निर्देशन में खुला मामला

पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के निर्देश पर मामले की गहन विवेचना की गई। प्रारंभिक तौर पर यह एक सामान्य मुआवजा प्रकरण लगा था, लेकिन जैसे ही साक्ष्य इकट्ठा किए गए, यह स्पष्ट हो गया कि यह एक योजनाबद्ध फर्जीवाड़ा था। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित धाराओं में अपराध दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।

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