नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने चुनावी प्रक्रिया को साफ-सुथरा और भरोसेमंद बनाने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए 334 पंजीकृत, लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटा दिया है। ये सभी दल 2019 से पिछले छह सालों में एक भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाए थे और उनके पंजीकृत पते पर कार्यालय भी मौजूद नहीं मिला।

आयोग ने यह कार्रवाई जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत की है। नियम के मुताबिक, पंजीकृत दलों को समय-समय पर चुनाव में भाग लेना और सक्रिय रहना जरूरी है, वरना उनका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

क्यों उठाया गया यह कदम?

  • पिछले 6 सालों से चुनावी प्रक्रिया में भाग न लेना।
  • पंजीकृत पते पर दल का कोई दफ्तर मौजूद न होना।
  • दस्तावेज और गतिविधियों का रिकॉर्ड अधूरा या अनुपलब्ध होना।

आयोग ने बताया शद्धिकरण

ECI के अनुसार, यह कदम “निर्वाचन प्रणाली का शुद्धिकरण” है, जिससे निष्क्रिय और गैर-अनुपालक दलों को हटाकर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। इससे मतदाताओं के सामने केवल सक्रिय और गंभीर राजनीतिक दल ही मौजूद रहेंगे।

सोशल मीडिया पर चर्चा

निर्णय की जानकारी 9 अगस्त को सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों पर तेजी से फैल गई। कई लोगों ने इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी कदम बताया, तो कुछ ने इसे निष्क्रिय दलों पर सख्त कार्रवाई का उदाहरण कहा।

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