कवर्धा। कबीरधाम जिले के कलेक्टर गोपाल वर्मा शुक्रवार की सुबह अचानक निरीक्षण पर निकले और सरकारी दफ्तरों में अनुशासन की पोल खोल दी। लेकिन इस सख्ती के साथ एक ऐसा वाकया हो गया, जो अब विवाद की वजह बन गया है।
कलेक्टर वर्मा जब जिला पंचायत पहुंचे, तो देखा कि 10 बजे का समय हो चुका है, लेकिन कई कर्मचारी अब तक दफ्तर नहीं पहुंचे थे। उन्होंने तत्काल उपस्थिति रजिस्टर चेक किया और पाया कि 42 कर्मचारी लेट हैं। इससे नाराज होकर वे गेट पर ही खड़े हो गए और आने वाले कर्मचारियों को वहीं रोक लिया।
कान पकड़कर माफी, फिर मिली एंट्री
कलेक्टर ने पहले तो कर्मचारियों को जमकर फटकार लगाई, फिर सस्पेंड करने की चेतावनी दी। बात यहीं खत्म नहीं हुई। कुछ कर्मचारियों से उन्होंने सार्वजनिक रूप से गेट पर ही कान पकड़कर माफी मंगवाई और तभी उन्हें दफ्तर में प्रवेश की इजाजत दी। वहीं, सभी 42 कर्मचारियों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दे दिए गए।
तीन विभागों में निरीक्षण, कड़ी हिदायत
कलेक्टर जिला पंचायत के साथ-साथ जिला अस्पताल और करपात्री स्कूल भी पहुंचे। तीनों जगह समय की पाबंदी न होने पर उन्होंने सख्त तेवर दिखाए और सभी को स्पष्ट कहा कि जनसेवा से जुड़े विभागों में समय की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शासन ने काम का समय सुबह 10 बजे से तय किया है, और इसका पालन जरूरी है।
अब विरोध में उतरे कर्मचारी संगठन
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम पर अब बवाल खड़ा हो गया है। कई स्थानीय कर्मचारी नेताओं ने कहा कि देर से आना गलती है, लेकिन उसका समाधान कान पकड़वाकर अपमानित करना नहीं है। ये सिविल सेवा आचरण संहिता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही इस मामले में स्थानीय विधायक और उपमुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे।
सरकारी अनुशासन बनाम मान-सम्मान की बहस
इस घटना के बाद जिले में बहस छिड़ गई है – क्या सरकारी अनुशासन लागू करने के लिए इस तरह का तरीका अपनाया जाना चाहिए? या फिर अधिकारियों को भी संवेदनशील और गरिमामय व्यवहार करना चाहिए? प्रशासन की सख्ती जरूरी है, लेकिन सम्मान भी उतना ही अहम है।