रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र सरकार से जीएम सरसों के व्यावसायिक उपयोग में जल्दबाजी न करने के लिए कहा है। सभा ने कहा कि सरकार को जीएम सरसो के उपयोग से पारिस्थितिकी और स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों के बारे में उठी शंकाओं का ठोस और वैज्ञानिक समाधान प्रस्तुत करना चाहिए।
किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव प्रशांत झा ने कहा कि हालांकि कृषि तकनीक और उच्च उपज वाले बीजों का विकास खाद्यान्न आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए जरूरी है लेकिन अनुभव बताता है कि ऐसे समाधानों का उपयोग किसानों और उपभोक्ताओं के हितों के बजाय कॉर्पोरेट हितों को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है। इससे किसान बर्बाद हुए हैं और कृषि उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है।
किसान सभा ने कहा कि डीएमएच-टू सरसों एक संकर बीज है, जिसे किसानों को हर मौसम में नए सिरे से खरीदना होगा। देश में यह सुनिश्चित करने के लिए कोई संस्थागत, नियामक ढांचा नहीं है कि ये बीज किसानों को कम कीमत पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही खाद्य फसलों में जहरीले कृषि रसायनों के अनियंत्रित उपयोग को बढ़ावा देने के कारण कृषि लागत में बेतहाशा वृद्धि होगी। ये जहरीले कृषि-रसायन किसानों, कृषि श्रमिकों और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। इसलिए ऐसे रसायनों के उपयोग से बचने के लिए और शोध किए जाने की जरूरत है।