बिलासपुर । जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का चुनाव मैदान से बाहर रहना कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है अब भी भाजपा के साथ उसकी कड़ी टक्कर है पर रूझान बढ़त की ओर दिख रही है । चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में दोनों दलों ने ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों प्रमुख प्रत्याशियों के लिए मतदाताओं के बीच पहचान का संकट तो अब खत्म हो ही चुका है, दोनों को ही वोट उनके नेतृत्व और पार्टी की नीतियों और घोषणा-पत्र के आधार पर मिलने जा रहे हैं। जोगी की पार्टी का बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन है पर उसके नेता कार्यकर्ता बसपा प्रत्याशी के लिए मेहनत करते नहीं दिख रहे हैं। आज कांग्रेस में उनके सबसे करीबी सहयोगी अनिल टाह के चले जाने से तो साफ हो चुका है कि जोगी को सिर्फ भाजपा के हारने से मतलब है, गठबंधन बसपा का हाथ मजबूत करने से नहीं।

बिलासपुर संसदीय सीट के लिए 23 अप्रैल को मतदान है। 21 अप्रैल को चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। दोनों दलों के स्टार प्रचारकों के पहुंचने का सिलसिला चल रहा है। कोई कसर बाकी न रह जाये इसलिए दिग्गज नेताओं की सभा कराने की कोशिश की जा रही है। 20 अप्रैल को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का प्रवास तय हो चुका है। भाजपा की ओर से भी कोशिश की जा रही थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक सभा बिलासपुर में भी हो जाये। 21 अप्रैल को उनके आने की बात कही गई थी, लेकिन इस बारे में अब तक कोई अधिकारिक सूचना नहीं आई है।

विधानसभा चुनाव में प्रदेश में करारी हार के बाद बिलासपुर संसदीय सीट में 27 साल पुराना गढ़ ढहने से बच जाये इसके लिए भाजपा भरसक कोशिश कर रही है। वे अपने मौजूदा आठ सीटों के अपने चार विधायकों के बलबूते इसकी संभावना भी देख रही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का आज तखतपुर में कार्यक्रम रखा गया। यहां विधानसभा सीट को कांग्रेस ने भाजपा से छीन ली है। शाह की सभा में भीड़ अच्छी थी पर उनका प्रचार कितना असर डालता है यह वोट पड़ने पर मालूम होगा। यहां भाजपा को बढ़त इसलिये भी चुनौती है क्योंकि मामूली मतों से हारने वाले जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के उम्मीदवार संतोष कौशिक कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वे कांग्रेस के लिए घूम-घूम कर वोट मांग रहे हैं। कौशिक के पास बसपा के वोट भी बड़ी संख्या में रहे हैं, जिसका लाभ कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है। कोटा विधानसभा क्षेत्र के रतनपुर में केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने 17 अप्रैल को सभा ली। यह सीट जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की डॉ. रेणु जोगी ने कांग्रेस से बाहर होकर फिर हासिल कर ली थी। उनके पास कांग्रेस के परम्परागत वोट भी बड़ी संख्या में आये थे। इस चुनाव में उनकी पार्टी मैदान में नहीं है इसलिए कांग्रेस के कार्यकर्ता फिर अपने घर की पार्टी के लिए ही काम करने लगे हैं।

बेलतरा में भाजपा से विधायक रजनीश सिंह हैं। यह बिलासपुर सीट से लगा क्षेत्र है, जहां भी जोगी कांग्रेस के अनिल टाह को भारी मत मिलना विधानसभा में भाजपा को जीत के लिए ऊर्जा दी। अब टाह भी कांग्रेस में आ चुके हैं। जाहिर है अनिल टाह को मिले वोटों को भाजपा को अपनी ओर मोड़ने में खासी दिक्कत होने वाली है। बिलासपुर में भी टाह के प्रवेश का कांग्रेस को फायदा मिलेगा। यहां पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह बेलतरा सभा ले चुके हैं। इससे लगे मस्तूरी में भी भाजपा से ही विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी हैं। कांग्रेस के तत्कालीन विधायक दिलीप सिंह लहरिया से नाराज वोट बड़ी संख्या में डॉ. बांधी और बसपा के पास चले गये थे। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के कई बड़े नेता यहां भी पार्टी छोड़ चुके हैं। खबर आ रही है कि जोगी समर्थकों का बड़ा वर्ग इस बार कांग्रेस के लिए काम कर रहा है। बसपा के लोग भी इनमें शामिल हैं। मस्तूरी के एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि यहां पूरी बसपा और लहरिया विरोधी वोट अब कांग्रेस में जाने की ओर है।

बिलासपुर में ब्राह्मण समाज के कुछ लोग हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास अपनी उपेक्षा की बात करने गये थे। विधानसभा चुनाव में शैलेष पांडेय की जीत और अमर अग्रवाल की हार का बड़ा कारण जातिगत समीकरण भी था, ऐसा माना जाता है। इस बार ब्राह्मण समाज के वोट बंट सकते हैं। हालांकि शैलेष पांडेय, विजय पांडेय, राकेश शर्मा, विवेक बाजपेयी जैसे अनेक बाह्मण संगठनों से जुड़े नेता कांग्रेस के पक्ष में प्रचार के लिए लगातार घूम रहे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लगभग सभी विधानसभा चुनावों में जन सभाएं ली हैं। आज बेलतरा विधानसभा में के लिम्हा में वे थे, पौंसरा में पहले ही सभा कर चुके हैं। उनका आगामी एक दो दिन में एक बार फिर प्रवास हो सकता है।

पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को संसदीय सीट का क्लस्टर प्रभारी भाजपा ने बनाया है, जिनके लिए साव को बिलासपुर से बढ़त दिलाना प्रतिष्ठा का विषय है। साव पूरे शहर में घूम भी रहे हैं। इसी तरह से बिल्हा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां पिछड़े वर्ग और सतनामी समाज के वोट बड़ी संख्या में हैं। पिछड़े वर्ग के वोटों पर भाजपा की निगाह है, साथ ही वह सतनामी समाज के वोटों को खींचने की कोशिश में है। पर इस विधानसभा क्षेत्र का पथरिया इलाका तथा इससे आगे मुंगेली विधानसभा क्षेत्र में सतनामी समाज के बहुत से वोट बसपा प्रत्याशी उत्तम गुरु और कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव में जा सकते हैं। यहां पर भाजपा से पुन्नूलाल मोहले की जीत विधानसभा में हुई थी। अरुण साव मुंगेली क्षेत्र से ही आते हैं, इसलिए भाजपा को यहां अपनी बढ़त की उम्मीद है और इसका असर लोरमी, बिल्हा तथा तखतपुर में भी दिख सकता है, ऐसी आशा उनकी पार्टी के लोग कर रहे हैं। लोरमी में जनता कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर हैं। उन्हें बड़ी संख्या में कांग्रेस से जुड़े लोगों का साथ विधानसभा चुनाव में मिला था। अब उनकी पार्टी के मैदान में न होने के कारण फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।

बसपा के साथ खड़े नहीं दिखते जोगी के कार्यकर्ता, अपील भी सिर्फ भाजपा के खिलाफ

बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन होने के बावजूद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की ओर से साफ-साफ अपील नहीं की गई है कि बसपा के उम्मीदवार को वोट दिया जाये। प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि उनके कार्यकर्ता साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ़ वोट मांगें और भाजपा को हरायें। इस बयान में स्पष्ट रूप से अपील नहीं है कि बसपा प्रत्याशी उत्तम गुरू को वोट दिया जाये, जबकि उनका गठबंधन बसपा के साथ होने का दावा है। दरअसल, विगत प्रदर्शनों को देखते हुए बसपा के वोटों में एक सीमा तक बढ़ोतरी की उम्मीद तो की जा सकती है पर किसी चमत्कार की नहीं। इस तरह से यह अपील कांग्रेस के लिए मददगार है। भले ही इसी बयान में अमित जोगी ने कांग्रेस की भी जमकर आलोचना की है।

मोदी, राहुल, बघेल के चेहरे ही अब सामने

पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा ने डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में हुए ‘विकास’ के मुद्दे पर लड़ा था। मोदी सरकार की छवि और कामकाज अपनी जगह पर थी। पर इसमें करारी हार के बाद भाजपा नेतृत्व ने कड़ा फैसला लेते हुए सभी 10 सांसदों की टिकट काट दिये और सभी 11 सीटों पर नये उम्मीदवार दिये। अरूण साव का चयन इसी रणनीति से हुआ। कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को विधानसभा में टिकट नहीं दिला पाने की भरपाई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकसभा में कर दी।

दोनों ही दलों के प्रत्याशियों का नया होना प्रचार अभियान के पहले दौर में अनेक तरह के कयासों को जन्म दे रहा था। शहरी क्षेत्र में अरूण साव और ग्रामीण इलाकों में अटल श्रीवास्तव  की स्वीकार्यता कितनी होगी, इस पर चर्चाएं थीं लेकिन अब जब प्रचार को केवल करीब 70-72 घंटे बच गये हैं यह मुद्दा नहीं रह गया है।

कांग्रेस के पक्ष में कुछ बातें रेखांकित की जा सकती है- जोगी कांग्रेस द्वारा अपनाया गया रुख और इसके बड़े नेताओं की घर वापसी। दूसरा, प्रदेश में कांग्रेस को विधानसभा में मिला विशाल बहुमत और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार के फैसले। विशेषकर किसानों की कर्जमाफी, 2500 रुपये धान का समर्थन मूल्य और बिजली बिल का हाफ किया जाना। तीसरा, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का छत्तीसगढ़ दौरा। इसके अलावा कांग्रेस के घोषणा पत्र में गरीब परिवारों के लिए 72 हजार रुपये सालाना तक की मदद और 22 लाख नौकरियों में भर्ती की बात लोगों की लुभा रही है। सोशल मीडिया के दौर में ये बातें गांव-गांव पहुंच रही है।

इस बार अन्य दूसरी सीटों की तरह बिलासपुर में भी मोदी लहर जैसा असर नहीं है, पर पाकिस्तान पर की गई एयर स्ट्राइक, मोदी का राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता मिल रहे हैं जो मानते हैं कि मोदी सरकार फैसले लेती है, कड़े फैसले लेती है, नतीजे देखने के लिए उन्हें एक बार और मौका दिया जाना चाहिए। भाजपा उज्ज्वला, उजाला, किसान सम्मान निधि, बिना ब्याज कर्ज जैसी बातों को भी मतदाताओं तक पहुंचा रही है। बीते 27 साल से भाजपा इस सीट को जीतते आ रही है। पिछली जीत भी विशाल अंतर से थी, करीब पौने दो लाख से। भाजपा के कई नेताओं ने कहा कि लोकसभा चुनाव अलग ढंग से लड़ा जाता है। विधानसभा चुनाव में प्रदेश सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा और परिवर्तन की चाह थी, पर इस बार ऐसा नहीं है। राहुल गांधी की तुलना में उनकी पसंद मोदी ही हैं।

प्रचार अभियान में कांग्रेस ने भी भाजपा की तरह इस बार बूथ, जोन और सेक्टर तय कर रखे हैं, जिसका प्रयोग पिछले विधानसभा चुनाव में भी किया गया था।  कांग्रेस इसे विधानसभा चुनाव की जीत के अब तक बने हुए असर का फायदा लेकर सीट छीनने के लिए जोर लगा रही है तो भाजपा और उनके दिग्गज नेता, पार्टी और अपनी डूबती हुई साख को बचाने के लिए।

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