चीफ जस्टिस सिन्हा के पदभार ग्रहण करने के बाद मुकदमों के निपटारे में करीब 30 प्रतिशत वृद्धि हुई
जस्टिस रमेश सिन्हा।
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में पहली बार मुकदमों की पेंडेंसी बढ़ने के बजाय कम हो रही है। बीते साल जहां 9 महीने में लंबित मामलों में 6.38 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, वहीं इस साल इसी अवधि में संख्या 1.47 प्रतिशत कम हो गई है। इसके बावजूद अब भी लंबित मुकदमों की संख्या 90 हजार से अधिक है।
लगभग 8 माह पहले छत्तीसगढ़ में पदभार ग्रहण करने के बाद मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमेश सिन्हा ने लंबित मामलों के निराकरण विशेष रूचि ली है, जिसका लाभ याचिकाकर्ताओं और आम लोगों को मिल रहा है।
इसे इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि 29 मार्च 2022 की स्थिति में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में 84 हजार 651 प्रकरण लंबित थे। एक दिसंबर 2022 को इनकी संख्या बढ़करं 90 हजार 51 हो गई। इस तरह से सन 2022 की इस अवधि में लंबित मामलों की संख्या 6.38 प्रतिशत बढ़ गई। वहीं 29 मार्च 2023 की स्थिति में लंबित मामले बढ़कर 92 हजार 316 हो गए थे, किंतु एक दिसंबर 2023 की स्थिति में इनकी संख्या घटकर 90 हजार 959 रह गई। इस तरह से बीते 10 वर्षों में पहली बार छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पेंडेंसी घटी।
यदि पिछले वर्ष और इस वर्ष की समान अवधि की तुलना करें तो मामलों का पंजीयन 28526 (वर्ष 2022 में) था और वही 29 मार्च 2023 से 1 दिसंबर 2023 की अवधि में 28583 था। इस प्रकार, इसी अवधि के दौरान मामलों के पंजीयन में भी लगभग 0.20 प्रतिशत की वृद्धि हुई। दूसरी ओर मामलों के निपटारे में भी वृद्धि हुई। यदि समान अवधि के दौरान तुलना की जाए तो यह क्रमशः 23 हजार 126 मामले और 29 हजार 940 मामले होते हैं। इस प्रकार, यद्यपि उपरोक्त दोनों अवधि के दौरान मामलों के रजिस्ट्रेशन में लगभग 0.20% वृद्धि हुई है, लेकिन निपटारे में भी 29.46% वृद्धि हुई।
इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने एकलपीठ में कुल 2117 तथा खण्डपीठ में 4381 प्रकरणों का निस्तारण किया गया। कुल 29940 मामलों के निस्तारण में से मुख्य न्यायाधीश ने अकेले कुल 6498 मामलों का निपटारा किया है, जो कुल मामलों का 22% है।
इससे यह भी पता चलता है कि मुख्य न्यायाधीश के साथ कुशल न्यायाधीशों की एक टीम है, जो अधिक से अधिक मामलों का निपटारा करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में निपटारे के प्रतिशत में 29.46% की वृद्धि उल्लेखनीय सफलता है। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने न केवल बड़ी संख्या में मामलों का निपटारा किया है, बल्कि रोस्टर बनाने और न्यायाधीशों में उत्साह पैदा करने के प्रयास भी किए। उन्होंने इस उच्च न्यायालय के समग्र प्रभाव को बढ़ाया है। वे लगातार काम करके उदाहरण स्थापित कर रहे हैं, जिससे उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों, अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रेरणा मिल रही है। इससे उच्च न्यायालय की कार्य संस्कृति उभरी है और अंततः बड़े पैमाने पर आम लोगों को लाभ हो रहा है।