बिलासपुर। छत्तीसगढ़ से निकलने वाली नदियों के सूखते उद्गम स्थलों की सच्चाई अब सामने आएगी। हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि एक विशेष कमेटी का गठन किया जाएगा, जो नदियों के उद्गम स्थलों की खोज और उनके संरक्षण-संवर्धन पर कार्य करेगी।
यह कमेटी 10 प्रमुख नदियों- अरपा, महानदी, हसदेव, तांदुला, पैरी, केलो, मांड, लीलागर, सोनभद्र और तिपान के पुनर्जीवन पर काम करेगी।


उद्गम स्थलों को राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने का निर्देश

जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि वर्तमान में राज्य की अधिकांश नदियां और उनके उद्गम स्थल राजस्व रिकार्ड में “नाले” के रूप में दर्ज हैं, जो गलत है। न्यायालय ने आदेश दिया कि इन स्थलों को राजस्व रिकार्ड में “नदी” के रूप में दर्ज किया जाए।
हाईकोर्ट ने यह भी पूछा कि आखिर इन नदियों के स्रोत सूख क्यों रहे हैं और उन्हें बचाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं?


इतिहासकार, लेखक और पर्यावरणविद होंगे कमेटी में 

राज्य सरकार ने बताया कि नई कमेटी में केवल अधिकारी ही नहीं, बल्कि इतिहासकार, लेखक, तकनीकी विशेषज्ञ और पर्यावरणविद भी सदस्य होंगे। यह टीम न केवल उद्गम स्थलों की खोज करेगी, बल्कि उनका पुनर्जीवन और जल प्रवाह बनाए रखने की दिशा में कार्ययोजना तैयार करेगी।
जिन जिलों से नदियों का उद्गम होता है, वहां के कलेक्टर इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे। इनके साथ खनिज, वन और जिला पंचायत विभाग के अधिकारी सदस्य के रूप में कार्य करेंगे।


छत्तीसगढ़ से निकलती हैं 19 छोटी-बड़ी नदियां

याचिकाकर्ता अरविंद शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ से कुल 19 छोटी-बड़ी नदियां निकलती हैं। इनमें धमतरी से महानदी, मनेन्द्रगढ़ से हसदेव, राजनांदगांव से शिवनाथ, जशपुर से ईब, मैनपाट से मांड, रायगढ़ से केलो, कोरबा से बोराई, बिलासपुर से कन्हार और सरगुजा से रिहंद जैसी नदियां शामिल हैं।
इनमें से कई नदियों के उद्गम स्थल खनन, पेड़ों की कटाई और अतिक्रमण के कारण सूखते जा रहे हैं।


अरपा नदी की STP प्रोजेक्ट पर निगम ने दी जानकारी

अरपा नदी में गिरने वाले गंदे पानी को रोकने के लिए बिलासपुर नगर निगम ने कोर्ट में शपथ पत्र पेश किया।
निगम ने बताया कि 103 करोड़ रुपये की लागत से चार एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) बनाए जा रहे हैं — जिनमें दो मंगला में, एक कोनी में और एक जवाली नाले पर तैयार हो रहे हैं। दिसंबर तक इन्हें पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इसके अतिरिक्त निगम ने तीन नए एसटीपी बनाने का भी निर्णय लिया है — चिंगराजपारा (40 एमएलडी), तिलकनगर (4 एमएलडी) और शनिचरी (8 एमएलडी)।


अगली सुनवाई 10 दिसंबर को

हाईकोर्ट ने कहा कि नदियों के संरक्षण और उद्गम स्थलों की पहचान के लिए राज्य सरकार को ठोस और समयबद्ध योजना प्रस्तुत करनी होगी।
मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को निर्धारित की गई है, जिसमें कोर्ट कमेटी की प्रारंभिक प्रगति रिपोर्ट देखेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here