पहले सर्वाधिक प्रभावित 9 जिलों में होगी आपूर्ति, रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा से होगा उठाव
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के वन विभाग ने हाथियों को खिलाने के लिये धान खरीदने का निर्णय लिया है। अनुमान लगाया गया है कि इससे हाथियों के हमले को रोका जा सकेगा। वे गांव के बाहर से धान खाकर आगे बढ़ जायेंगे और गांवों के भीतर घुसकर फसलों तथा घरों को नुकसान नहीं होगा।
हाथियों के विचरण से सर्वाधिक प्रभावित 9 जिले धमतरी, कांकेर, बालोद, गरियाबंद, महासमुंद, सरगुजा, रायगढ़, कोरबा और सूरजपुर में धान की आपूर्ति करने के लिये वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) ने पत्र लिखा है। यह धान जौदा (रायपुर) पिथौरा (महासमुंद), देवनगर व लोधिमा ( सूरजपुर) तथा मोपका व सेमरताल (बिलासपुर) के संग्रहण केन्द्रों से उपलब्ध कराया जायेगा। वन विभाग को वित्तीय वर्ष 2019-20 में खरीदा गया धान 2095.83 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा जायेगा। यह कीमत संग्रहण स्थल की होगी, वन विभाग को परिवहन भाड़े का खर्च अतिरिक्त वहन करना होगा।
मालूम हुआ है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक की ओर से धान खरीदी के लिये मार्कफेड को पिछले माह प्रस्ताव भेजा गया था, जिसके जवाब में मार्कफेड ने यह पत्र वन विभाग को लिखा है।
वन विभाग का मानना है कि हाथियों का गांवों में घरों और फसलों को नुकसान पहुंचाने की घटना इससे रुक जायेगी क्योंकि वे भोजन की तलाश में ही गांवों में पहुंचकर उत्पात करते हैं। हाथियों के विचरण वाले क्षेत्रों में धान का गांव से बाहर खुले में भंडारण किया जायेगा, जिसे खाने के बाद हाथी बस्तियों की ओर रुख नहीं करेंगे।
धान को खपाने में मिलेगी मदद
सरकार के अपने ही विभाग द्वारा हाथियों से बचाव के लिये धान खरीदने से सरकार को प्रदेश के विभिन्न संग्रहण केन्द्रों में पड़े धान को खपाने में मदद मिलेगी। बताया जाता है कि सन् 2019-20 का करीब 80 हजार मीट्रिक टन धान अभी भी संग्रहण केन्द्रों में पड़ा हुआ है। इसके अलावा बीते साल 2020-21 में खरीदे गये धान का उठाव नहीं हुआ है। धान के निष्पादन के लिये सरकार कई प्रयास कर चुकी है। छत्तीसगढ़ सरकार की मांग पर बीते साल अक्टूबर में तत्कालीन केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा था कि धान व चावल से एथेनॉल बनाने पर केन्द्र सरकार 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है, जिससे छत्तीसगढ़ को भी फायदा मिलेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद राज्य में एथेनॉल उत्पादन संयंत्र लगाने की दिशा में काम किया है। चार कम्पनियों से एमओयू किया जा चुका है पर संयंत्र अब तक किसी ने चालू नहीं किया है। दरअसल, इसके लिये केन्द्र सरकार से जरूरी अनुमति नहीं मिली है। बघेल एक से अधिक बार केन्द्र से मांग कर चुके हैं कि जल्द से जल्द अनुमति दी जाये क्योंकि अनाज सड़ रहा है और इससे राज्य के को आर्थिक क्षति पहुंच रही है।
बीते साल छत्तीसगढ़ में 93 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी। भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से इसमें से 24 लाख क्विंटल धान की खरीदी ही की गई। इसके बाद राज्य सरकार ने ई-नीलामी के जरिये खुले बाजार में धान बेचने की कोशिश की। इसे 11-12 सौ रुपये में खरीदने की बोली आई। इस योजना से धान के विपुल भंडार को कम करने में अधिक मदद नहीं मिली।