रायपुर। छत्तीसगढ़ नान घोटाले से जुड़े प्रकरण में फंसे पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत प्राप्त हुई है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने उन्हें अंतरिम अग्रिम जमानत प्रदान की है। इस मामले में राज्य सरकार को अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा, जिसके पश्चात अगली सुनवाई 28 फरवरी को निर्धारित की गई है।

गौरतलब है कि इससे पहले हाईकोर्ट ने पूर्व महाधिवक्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिससे उनकी गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई थी।

नान घोटाले में पूर्व महाधिवक्ता पर आरोप

ईओडब्ल्यू/एसीबी ने सतीश चंद्र वर्मा के विरुद्ध नान घोटाले में एफआईआर दर्ज की है। उन पर आरोप है कि महाधिवक्ता के पद पर रहते हुए, उन्होंने आरोपियों को बचाने के लिए षड्यंत्र रचा। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत हेतु याचिका दायर की थी, जिसे पिछले सप्ताह खारिज कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलीलें

हाईकोर्ट से राहत न मिलने के पश्चात पूर्व महाधिवक्ता वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। याचिका में उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी मामले में महाधिवक्ता स्वयं याचिकाओं का जवाब प्रस्तुत नहीं करते। उन्होंने इसे राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित मामला बताते हुए कहा कि 2015 का यह प्रकरण सरकार बदलने के बाद दर्ज किया गया, जो न्यायसंगत नहीं है।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है, अतः उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए धारा 17(ए) के अंतर्गत पूर्व अनुमति आवश्यक थी, जो इस मामले में नहीं ली गई।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा, मुकुल रोहतगी, वरुण तन्खा और सुमेर सोढ़ी ने पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि 2015 के इस मामले में 2019 में आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, और अब इसे राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर पूर्व महाधिवक्ता के विरुद्ध पुनर्जीवित किया गया है।

प्राथमिक सुनवाई के उपरांत सुप्रीम कोर्ट ने सतीश चंद्र वर्मा को अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी। राज्य सरकार ने उत्तर प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार कर लिया गया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।

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