बिलासपुर। डॉ. पूजा चौरसिया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। उनकी मां, रीता चौरसिया की न्याय की गुहार पर उच्च न्यायालय ने CID को मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश दिया है। न्यायालय ने CID को 8 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस घटना के बाद पुलिस द्वारा की गई जांच पर सवाल उठाए गए थे, और मृतका की मां ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की हत्या की गई है, जिसे पुलिस ने आत्महत्या का मामला घोषित कर दिया था।
फंदे पर लटका मिला था शव
डॉ. पूजा चौरसिया जिला अस्पताल में कार्यरत थीं। उनकी अप्रैल 2024 में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। मां के घर में उसका शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था। पुलिस ने इस घटना को आत्महत्या करार देते हुए मर्ग कायम किया और जांच शुरू की। मामले में यह बात सामने आई कि पूजा के पति, डॉ. अनिकेत कौशिक, और जिम ट्रेनर, सूरज पांडेय, पूजा को घायल अवस्था में अस्पताल ले गए थे। पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला मानते हुए सूरज पांडेय को IPC धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत गिरफ्तार किया।
मां का संदेह और याचिका
मृतका की मां रीता चौरसिया ने पुलिस की जांच पर संदेह जताते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया कि उनकी बेटी की हत्या की गई है, और यह हत्या एक साजिश के तहत की गई है। इसमें उनके पति और अन्य लोग शामिल हो सकते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने मामले की सही तरीके से जांच नहीं की और इसे आत्महत्या का मामला बनाकर रफा-दफा कर दिया। याचिका में उन्होंने हत्या का मामला (आईपीसी धारा 302) दर्ज करने और एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में संदिग्ध चोटें
याचिका में यह भी बताया गया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पूजा के शरीर पर मृत्यु पूर्व सात चोटें पाई गईं थीं, जिनका कोई स्पष्ट कारण रिपोर्ट में नहीं दिया गया। मां ने दावा किया कि चाहे यह मामला आत्महत्या का हो या हत्या का, लेकिन इन चोटों का स्पष्टीकरण आवश्यक है।
निजी एक्सपर्ट से ली मदद
इससे पहले, 28 जून को, पूजा की मां ने एक निजी फोरेंसिक एक्सपर्ट की मदद से ऐसे सबूत जुटाए थे, जिनसे यह संकेत मिलता था कि डॉ. पूजा की हत्या की गई थी। इस जांच में पाया गया कि पूजा के कमरे से महिला के अलावा किसी पुरुष के स्पर्म और बाल भी मिले थे। साथ ही, जिस पंखे से फांसी लगाने की बात कही जा रही थी, उसमें पूजा के फिंगर प्रिंट्स नहीं थे। इसके अलावा, पूजा के सिर, पीठ और नाक में चोट के निशान भी पाए गए, जिससे पता चलता है कि उस पर किसी भारी वस्तु से प्रहार किया गया था। मां ने यह भी बताया कि घटना की रात पूजा के मायके के किराएदार ने जोरदार आवाजें सुनी थीं, जो इस बात की ओर इशारा करती हैं कि घटना के समय वहां कोई संघर्ष हुआ था।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
उच्च न्यायालय ने इस मामले में CID को निष्पक्ष जांच करने का आदेश दिया है और 8 सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह आदेश तब आया जब मृतका की मां ने पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाए और न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई। पुलिस की जांच में कई खामियां पाई गईं, जिनमें मुख्य रूप से इस घटना को आत्महत्या मानना और सूरज पांडेय को गिरफ्तार करना शामिल था, जबकि मामले में अन्य संदिग्ध पहलुओं की अनदेखी की गई थी।