पूर्व में हाईकोर्ट के आदेश पर ही हुआ था लापरवाही का अपराध दर्ज 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपोलो हॉस्पिटल के चार डॉक्टरों देवेंदर सिंह, डॉ. राजीव लोचन भांजा, डॉ. सुनील केडिया और डॉ. मनोज राय के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगा दी है और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मालूम हो कि गोल्डी उर्फ गुरुवीन छाबड़ा (29 वर्ष) को 24 दिसंबर 2016 को पेट दर्द की शिकायत पर अपोलो हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था। इलाज के दौरान अगले दिन उसकी मृत्यु हो गई। परिजनों के अनुसार डॉक्टरों ने इसे जहरखुरानी का मामला बता दिया। उन्होंने इससे इन्कार किया और कहा कि उसकी मौत इलाज में लापरवाही के कारण हुई है। उन्होंने अपोलो प्रबंधन और डॉक्टरों के खिलाफ थाने में शिकायत की। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी। लंबी सुनवाई के बाद सन् 2022 में हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह अपोलो प्रबंधन तथा संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ अपराध दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करे। हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस हेडक्वार्टर के फोरेंसिक विज्ञान के विशेषज्ञों की समिति ने भी प्रकरण की जांच की। इसमें पाया गया था कि डॉक्टरों ने इलाज एवं साक्ष्य एकत्र करने में लापरवाही बरती। साथ ही कोर्ट ने पाया कि प्रबंधन ने पुलिस को आवश्यक सूचना नहीं दी थी।
सरकंडा पुलिस ने अक्टूबर 2022 में डॉक्टरों के खिलाफ 304 ए, 201 तथा 34 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज किया था। पुलिस ने अप्रैल 2023 में उन्हें गिरफ्तार कर मुचलके पर रिहा कर दिया। इस बीच ट्रायल कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया जिसमें डॉक्टरों पर आरोप तय होने के बाद मुकदमा चलाया जाना था।
ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्रवाई और एफआईआर को चारों डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रजनी दुबे की अवकाशकालीन डिवीजन बेंच ने की। याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि पुलिस की मेडिको लीगल संस्थान ने घटना के तीन साल बाद रिपोर्ट दी है। ऐसे मामलों में राज्य मेडिकल बोर्ड की ओर से रिपोर्ट प्राप्त करना आवश्यक है, जो नहीं ली गई है। डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही नहीं बरती है। यदि इस तरह से एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाती रही तो डॉक्टरों का इलाज करना मुश्किल होगा। डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए ट्रायल कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर रोक लगा दी है और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

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