लखनऊ। हाथरस मामले में योगी सरकार ने कड़ी कार्रवाी करते हुए आरोपियों और पीड़ित पक्ष का पॉलीग्राफ और नारको टेस्ट कराने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने यह फैसला इस मामले की जांच कर रही SIT की पहली रिपोर्ट मिलने के बाद किया है। इसके अलावा योगी सरकार ने आला अधिकारियों पर बड़ा एक्शन लेते हुए हाथरस के पुलिस अधीक्षक, एक डीएसपी और संबंधित थाना प्रभारी को भी सस्पेंड कर दिया है। शुक्रवार को देर शाम राज्य सरकार की तरफ से जारी किए एक प्रेस नोट के माध्यम से इस बात की जानकारी दी गई। बता दें कि ऐसा पहली बार होगा कि किसी मामले की जांच करने वाली पुलिस टीम का भी पॉलीग्राफ और नारको टेस्ट कराया जाएगा। इस मामले को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अधिकारियों की कार्रवाई को लेकर खासे नाराज थे। यही वजह है कि एसआईटी की पहली रिपोर्ट मिलते ही सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है।नारको टेस्ट होने के पीछे माना जा रहा है कि चश्मदीदों के बयानों के अलावा नारको या पॉलीग्राफ टेस्ट कराकर बयानों की सच्चाई परखा जाना जरूरी है। यह फैसला एसआईटी के अलावा शीर्ष स्तर पर हुआ है। जांच कर रही टीम के सदस्यों और आला अधिकारियों को लगता है कि जांच को साइंटिफिक तौर पर भी कराया जाय। एसआईटी ने यह रिकमेंडेशन सरकार से की है। इसी के आधार पर घटना से जुड़े सभी लोगों का नारको टेस्ट व पॉलीग्राफी टेस्ट कराया जाएगा।सरकार का मानना है कि इस मामले में कई तरह के वीडियो सामने आए हैं। इसलिए सभी सबूतों को लेकर साइंटिफिक जांच जरूरी है यही वजहै कि सरकार ने आरोपियों, पीड़ित परिवार के सदस्यों और पुलिस जांच टीम के सभी कर्मियों का नारको और पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के आदेश किए हैं।इस घटना से नाराज मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर हाथरस के पुलिस अधीक्षक यानी एसपी विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी (सीओ) राम शब्द और संबंधित थाने के इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा, एसआई जगवीर सिंह को निलंबित किया गया है। इससे पहले खबर आई थी कि हाथरस के जिलाधिकारी पर भी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन फिलहाल उनका नाम लिस्ट में नहीं है।













