बिलासपुर। लगातार प्रकोप व संक्रमितों की संख्या बढ़ने के कारण स्वास्थ्य एक ओर लोगों को होम आइसोलेशन की सलाह दे रहा है, निजी अस्पतालों पर कड़ाई बरती जा रही है वहीं दूसरी तरफ रेलवे के रायपुर व बिलासपुर स्टेशनों पर बोगियों में बनाये गये अस्थायी अस्पताल खाली पड़े हुए हैं। इन कोचों के इस्तेमाल के बारे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का जवाब वास्तविकता से परे है।
कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ओर से कुल 110 कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया है। इसमें डॉक्टरों के अलावा पैरामेडिकल स्टाफ के रहने की व्यवस्था तो है ही एक बोगी में 8 कोरोना पीड़ितों को भी रखा जा सकता है। इनमें से 55 बोगियां बिलासपुर में तथा 56 रायपुर प्लेटफार्म पर खड़ी है। इनमें कुल 888 मरीजों को रखकर उपचार किया जा सकता है। बिलासपुर में ये बोगियां प्लेटफॉर्म नंबर 7 पर खड़ी है। इस समय अधिक ट्रेनों का आवागमन नहीं होने के कारण इस पटरी को इस अस्थायी कोविड अस्पताल के लिये ही सुरक्षित रख दिया गया है। स्टेशन पर खड़ी होने के कारण यहां प्रकाश व पानी की व्यवस्था भी चौबीसों घंटे उपलब्ध है।
रेलवे के वरिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी संतोष कुमार का कहना है कि इन बोगियों के तैयार होने के बारे में दोनों जगह पर प्रशासन को दे दी गई है। जब भी इसकी जरूरत होगी, रेलवे इन बोगियों को उपलब्ध करा देगा।
दूसरी ओर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस बोगियों का इस्तेमाल करने में कोई रुचि नहीं दिखाई जा रही है। मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रमोद महाजन से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि फिलहाल इन बोगियों की जरूरत नहीं है जब होगी ले लिया जायेगा। अभी निजी अस्पतालों से बात हुई है वहां मरीज भर्ती किये जायेंगे। निजी अस्पतालों का खर्च तो आम लोग नहीं उठा सकेंगे, जबकि रेलवे का उपयोग सभी कर सकते हैं। डॉ. महाजन ने कहा कि अभी इसकी आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मरीजों के लिये वर्तमान में बिस्तरों की कमी नहीं है और निजी अस्पतालों में इलाज शुरू होने पर तो यह दिक्कत और कम हो जायेगी।
सीएमएचओ का दावा इसलिये वास्तविकता से परे है क्योंकि बिलासपुर में हर दिन 200 से 300 नये मरीज मिल रहे हैं और ठीक होने वालों की संख्या 50 से 100 के बीच है। इस समय 1300 से अधिक मरीज ऐसे हैं जिनका उपचार चल रहा है। संभागीय कोविड अस्पताल सहित रेलवे, बिरकोना और भरनी में लगातार मरीज पहुंच रहे हैं और उनकी भर्ती के लिये बेड नहीं मिल रहे हैं। कई मरीज भर्ती नहीं किये जाने के कारण वापस लौट रहे हैं और घर पर इलाज करा रहे हैं। सभी जगह मिलाकर स्वास्थ्य विभाग के पास 250 से अधिक मरीजों को भर्ती करने की सुविधा नहीं है। अनुमान है कि इस समय 7-8 सौ मरीज घरों में रहकर स्वयं के साधनों से उपचार ले रहे हैं, जिनमें से कई ऐसे हैं जिनके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में कोई जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं है।
डॉ. महाजन से पूछा गया कि क्या स्टाफ की कमी के कारण रेलवे बोगियों को मरीजों के लिये लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है, उन्होंने इसे भी गलत ठहराया और कहा कि स्टाफ की भी कोई कमी नहीं है। वास्तविकता यह है कि कोविड अस्पतालों में भर्ती मरीजों को देखने के लिये डॉक्टर कई-कई दिन नहीं पहुंच रहे हैं। वहां भोजन व साफ-सफाई की व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं है। बिरकोना में भर्ती कराये गये मरीज इसे लेकर हाल ही में हंगामा भी कर चुके हैं। कोविड अस्पताल से कई मरीज घंटों इंतजार के बाद भी भर्ती नहीं किये जाने के कारण वापस लौट रहे हैं। बीते दिनों आरपीएफ के संक्रमित 3 जवानों को इसी तरह वापस लौटना पड़ा था।