बिलासपुर। पांच साल की मूक-बधिर बालिका से दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर देने के आरोपी को सुनाई गई फांसी की सजा तथा दो सहयोगियों को सुनाई गई पांच-पांच साल की सजा के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है।
घटना खुर्सीपार भिलाई में 25 फरवरी सन् 2015 को हुई थी। अभियोजन के मुताबिक पांच साल की मूक-बधिर बालिका को खुर्सीपार, भिलाई निवासी आरोपी राम सोना बहला-फुसलाकर अपने साथ अपने घर ले गया था। वहां उसके साथ उसने दुष्कर्म किया। इसके बाद पत्थरों से कुचलकर उसने बच्ची की हत्या कर दी। हत्या के बाद उसने एक बोरी में लाश को भरा और रेलवे ट्रैक के किनारे नाले में फेंक दिया। लाश को छिपाने में आरोपी की मां कुंती सोना और उसके दोस्त अमृत सिंह ने सहायता की।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म के बाद हत्या किया जाना बताया गया। आरोपी को पुलिस ने रायगढ़ से गिरफ्तार कर लिया। स्पेशल कोर्ट की जज शुभ्रा चौधरी ने पाक्सो एक्ट के तहत मामले की सुनवाई कर 26 अगस्त 2018 को फैसला दिया। जज ने इसे क्रूरतम और पाशविक घटना बताया और मुख्य आरोपी राम सोना को फांसी की सजा सुनाई। पाक्सो एक्ट में बदलाव के बाद छत्तीसगढ़ में सुनाई गई यह पहली मौत की सजा थी। लाश को ठिकाने लगाने में मदद करने के आरोपी उसकी मां और दोस्त को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई। मृत्युदंड की सजा को पुष्टि के लिए हाईकोर्ट भेजा गया था। साथ ही तीनों आरोपियों ने निचली अदालत की सजा के खिलाफ अपील भी हाईकोर्ट में की थी। जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस गौतम चौरड़िया की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित कर लिया।