बिलासपुर। नान घोटाले की जांच करने वाली टीम में शामिल रहे इंस्पेक्टर आर के दुबे ने हाईकोर्ट में चीफ-जस्टिस के सामने उपस्थित होकर शिकायत की है कि उनसे एसआईटी के जांच अधिकारी जबरन बयान लिखवा रहे हैं। इससे उन्हें जान का खतरा है। कोर्ट ने आज दोपहर बाद इस मामले की सुनवाई की और दुबे को जांच में सहयोग करने तथा पुलिस को दुबे पर दबाव नहीं डालने का निर्देश दिया है।
इंस्पेक्टर दुबे आज दोपहर करीब एक बजे रायपुर से आकर सीधे चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी के कोर्ट में पहुंचे और गुहार लगाई कि उनकी जान को खतरा है। दुबे ने 18 बिन्दुओं का एक शपथ पत्र भी चीफ जस्टिस को सौंपा। इसमें कहा गया है कि एसआईटी नान घोटाले के साक्ष्यों और साक्षियों को प्रभावित करने के लिए उनसे जबरन बयान दर्ज करा रही है। दुबे की इस शिकायत को चीफ जस्टिस ने जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच में रेफर कर दिया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने दुबे को निर्देश दिया है कि वह एसआईटी जांच में सहयोग करे तथा पुलिस को निर्देश दिया है कि दुबे से दबावपूर्वक कोई भी बयान दर्ज न कराये।
मालूम हो कि दुबे ने रायपुर में पुलिस महानिदेशक और विशेष न्यायालय में ऐसी ही शिकायत की है।
नान घोटाले में एसआईटी ने रायपुर में आईपीएस मुकेश गुप्ता और नारायणपुर के एसपी रजनेश सिंह के विरुद्ध अपराध दर्ज किया है। इसके अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सचिव अमन सिंह के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। इसका आधार दुबे के बयान को बनाया गया है। एसआईटी पर दबाव डालने का आरोप लगने के बाद पूरी जांच की कार्रवाई ही सवालों के घेरे में आ गई है। चीफ जस्टिस ने दुबे की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए दूसरे पहर में इसकी सुनवाई करने का निर्णय लिया है।
नान घोटाले में कथित तौर पर 36 हजार करोड़ रुपये का घोटाला है। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच एसआईटी से कराने का निर्णय लिया है। आरोप है कि नान को घटिया चावल सप्लाई करने के एवज में करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी हुई। इनमें कई हाई-प्रोफाइल नाम है। दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के विरुद्ध कार्रवाई के लिए राज्य सरकार पहले ही केन्द्र सरकार से अनुमति मांग चुकी है। चीफ जस्टिस त्रिपाठी के समक्ष शिकायत करने वाले एसीबी के तत्कालीन इंस्पेक्टर दुबे के खिलाफ भी एफआईआर में कूट रचना का आरोप है।