बिलासपुर। हसदेव अरण्य में आबंटित परसा कोल ब्लॉक के अधिग्रहण के खिलाफ लगाई गई पांचों याचिकाएं हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि इस समय देश में कोयले का संकट है, ऐसे में इस परियोजना पर हस्तेक्षप करना सही नहीं है। पेसा कानून को लेकर भी कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार नई अधिसूचना जारी कर कार्य को आगे बढ़ा सकती है।
याचिकाकर्ताओं ने पिछली सुनवाई में परसा अधिग्रहण के तुरंत बाद शुरू हुई पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग भी की थी, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था। इस बीच सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने 4 मई को फैसला सुरक्षित रखा था।
चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी व जस्टिस आरसीएस सामंत की डबल बेंच के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव, अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव, रजनी सोरेन और अन्य ने सरगुजा जिले में हसदेव अरण्य पर परसा में कोल ब्लॉक के आवंटन के निर्णय को अवैधानिक बताते हुए दलील दी थी कि एक निजी कंपनी (अडानी) को फायदा पहुंचाने के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया है। कोयला खदान राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आवंटित की गई है, पर उसका संचालन निजी कंपनी करेगी।
कोर्ट ने अपने फैसले में कोल ब्लॉक आवंटन और भूमि अधिग्रहण पर केंद्र सरकार के निर्णय को सही माना है और कहा कि सभी अनुमतियां विधिवत दी गई हैं।
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने राजस्थान सरकार को कोल ब्लॉक दिया है अब वह उस पर निर्भर करता है कि वह स्वयं खनन करे या किसी निजी कंपनी से कराए।
पेसा कानून के उल्लंघन को लेकर कोर्ट ने कहा कि केंद्र की ओर से स्पष्ट किया गया है कि जहां व्यापक जनहित और देशहित की बात हो वहां नई अधिसूचना जारी कर जमीन का अधिग्रहण किया जा सकता है।