बिलासपुर। फेसबुक में मुहावरे के माध्यम से की गई टिप्पणी के आधार पर न्यायालय द्वारा अपराध पंजीबद्ध किए जाने के आदेश को उच्च न्यायालय ने सही माना और इसके खिलाफ दायर आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया। 

प्रकरण के संबंध में जानकारी के अनुसार आरोपी बलौदाबाजार के बिल्डर नितेश शर्मा द्वारा अपने एक अन्य पार्टनर के साथ ‘प्रतिष्ठा कॉलोनी’ का निर्माण किया जा रहा है। इसकी वैधता को मधु सराफ ने रिट याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।  उच्च न्यायालय द्वारा 4 अप्रैल 2017 को रिट याचिका को सुनवाई हेतु स्वीकार किया गया है और आरोपी नितेश शर्मा सहित उसके पार्टनर एवं कलेक्टर, नगर पालिका व नगर निवेश को जवाब पेश करने हेतु नोटिस जारी किया गया है।

स्थानीय समाचार पत्रों में 7 अप्रैल को इस समबन्ध में समाचार प्रकाशित हुआ। इसके पश्चात आरोपी ने 8 अप्रैल 2018 को अपने फ़ेसबुक में प्रतिष्ठा कालोनी की फोटो सहित लिखा कि ‘ हाथी चले बाजार …., मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए शिकायतकर्ता के खिलाफ पोस्ट किया। इस पोस्ट को कुछ लोगों द्वारा लाइक्स एवं कॉमेंट्स कर समर्थन भी किया गया। तब मधु सराफ ने इसकी लिखित रिपोर्ट सिटी कोतवाली में की। पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई तब मधु सराफ द्वारा अपने अधिवक्ता सतीश चंद्र श्रीवास्तव के माध्यम से मुख्य न्यायालय दंडाधिकारी के न्यायालय मे साइबर कानून एवं मानहानि का दाण्डिक परिवाद पेश किया गया।  इस पर न्यायालय द्वारा धारा 67 आई टी एक्ट एवं 500 आई पी सी के तहत पंजीबद्ध करने का आदेश दिया गया। आरोपी ने न्यायालय से जमानत मिलने के बाद अपराध दर्ज करने के आदेश को निरस्त कराने की याचिका उच्च न्यायालय में दायर की थी।  उच्च न्यायालय पंजीबद्ध प्रकरण को सही होना मानते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर किया है। मधु सराफ की ओर से उच्च न्यायालय में अधिवक्ता पलाश तिवारी ने पैरवी की।

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